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July 20, 2025 9:05 pm

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !! भाग 2: Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !! भाग 2: Niru Ashra

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 105 !!
भाग 2

द्वारिका जाकर रह रहे हैं समस्त यदुवंशी ? उनके नायक हैं श्रीकृष्ण ?

कीर्तिरानी नें आगे आकर ये और पूछा – द्वारिका कहाँ है ?

समुद्र के किनारे ये कृष्ण नें ही बसाया है…….महर्षि नें उत्तर दिया ।

दूर है ? कीर्तिरानी नें पूछा ।

हाँ देवी ! दूर तो है …………..बहुत दूर है ।

महर्षि की बातें सुनकर अत्यन्त पीढ़ा हुयी दोनों दम्पति को ।

लम्बी साँस ली बृषभान जी नें …….और कीर्तिरानी नें फिर पूछा ।

महर्षि ! विवाह ? क्या कृष्ण नें विवाह किया है ?

इस प्रश्न पर रुक गए महर्षि…..

….और दृष्टि उठाकर जब सामनें देखा तो !

बताइये महर्षि ! क्या मेरे प्राणधन नें विवाह किया ?

बताइये महर्षि ! क्या मेरे प्रियतम की कोई दुल्हन ?

श्रीराधारानी आगयी थीं महल में ……..ललिता सखी नें कह दिया था कि महर्षि शाण्डिल्य को महल में जाते देखा है ………..ये सुनकर श्रीराधारानी आगयी थीं ……..पर बात कृष्ण की चली तो प्रेमोन्माद में जड़वत् हो गयीं थीं । अब बात विवाह की जब पूछी गयी ………तब महर्षि नें सामनें देखा …..तो खड़ी हैं आल्हादिनी श्रीराधा…..महर्षि चुप हो गए थे……पर श्रीराधा नें आगे बढ़कर पूछा –

आप मुझे बताइये मेरे “प्राण” नें विवाह किया ? .

हाँ …….कर लिया……..आल्हादिनी के सामनें मैं झूठ कैसे बोलता ।

मानों वज्रपात हुआ बृषभान और कीर्तिरानी के ऊपर …………

महर्षि नें सोचा था मूर्छित हो जायेंगी श्रीराधा……..पर ।


महर्षि !

उछल पडीं थीं श्रीराधारानी ……….क्या सच में मेरे प्रियतम नें विवाह कर लिया ! ओह ! मैं कितनी खुश हूँ ………..मैं आज बहुत प्रसन्न हूँ ……….सच ! मेरे प्राणधन नें विवाह कर लिया ।

अब ठीक है …………अब उनकी सेवा अच्छी होगी ………….जब थके हारे मेरे प्रियतम शैया में जायेंगें…….तब उनके चरण चाँपनें वाली कोई तो चाहिये थी ना ! हँसी श्रीराधा रानी ……खूब हँसी ।

अच्छा बताओ महर्षि ! कैसी है मेरे प्रियतम की दुल्हन ?

अच्छा उनका नाम क्या है ? देखनें में सुन्दर है ?

मुझ से तो सुन्दर होगी ……..है ना महर्षि ?

वो तो करुणा निधान हैं मेरे प्रियतम ………..सबको स्वीकार करते हैं …..सुन्दरता असुन्दरता वे देखते कहाँ है ?

मुझे ही देख लो ना महर्षि ! मैं सुन्दर हूँ ? अरे ! मेरे जैसी तो इस बृज में अनेकन थीं …………मेरे जैसी ? फिर हँसी श्रीराधा रानी ।

महर्षि ! क्षमा करना …….मुझे ये अहंकार देनें वाले भी वही मेरे प्रियतम ही हैं …………….मुझे बारबार – राधे ! तू कितनी सुन्दर है ……..राधे ! तुम्हारी जैसी सुन्दरी कहीं नही है ………..

मैं भी आगयी उनकी बातों में…..और माननें लगी अपनें आपको सुन्दरी ।

अच्छा छोडो मेरी बातों को …………..मुझे ये बताओ – सुन्दर है ?

मेरे “प्राण” की दुल्हन सुन्दर है ? बताओ ना महर्षि !

महर्षि रो पड़े !

….श्रीराधा का ये महाभाव देखकर महर्षि हिलकियों से रो पड़े थे ।

क्रमशः….
शेष चर्चा कल –

🌷 राधे राधे🌷

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