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September 14, 2025 6:42 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 106 !!-जब वृन्दावन में दाऊ पधारे भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 106 !!-जब वृन्दावन में दाऊ पधारे भाग 3 : Niru Ashra

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 106 !!

जब वृन्दावन में दाऊ पधारे
भाग 3

अच्छा ! आजाता तो ये बूढी आँखें उसे देख लेतीं ………….

पर नही आया…..अच्छा , अच्छा एक बात बता दाऊ ! महर्षि शाण्डिल्य कह रहे थे कि ………तुम लोग मथुरा से चले गए हो ……पर कहाँ गए ?

“द्वारिका” बलराम नें कहा ।

दाऊ ! द्वारिका दूर है ?

आगे आगयी थी चन्द्रावली …………..और दाऊ से पूछनें लगी थी ।

दूर है ………….समुद्र के मध्य है ।

मेरा कन्हाई समुद्र में रहता है ……………..मैया नें आश्चर्य से पूछा ।

नगरी बसाई है कृष्ण नें …….द्वारिका नाम की………बलराम नें ये बातें बताईं ।

चल तू ! थक गया होगा ……………कुछ खा ले ………

अच्छा ! तेरी माँ रोहिणी कैसी है ?

माखन रोटी लाते हुए पूछा था मैया नें ।

देख, जल लाना भी भूल गयी…….. चन्द्रावली नें कहा ……मैं ला देती हूँ मैया ! और जल लेनें रसोई में चली गयीं ।

सिर में हाथ फेरतीं हैं दाऊ के मैया यशोदा ………..फिर अतीत में खो जाती हैं ………….

शादी की कन्हाई नें ? इस प्रश्न पर थोड़ी हँसीं थीं मैया ।

“हाँ कर ली”………दाऊ नें कहा ।

सुना तो है कि आठ विवाह किये हैं ………कन्हाई नें ?

दाऊ थोडा मुस्कुराये………आठ नही मेरी मैया !
सोलह हजार एक सौ आठ ।

हा इतनें विवाह किये हैं ?

ओह ! इस प्रसंग पर तो मैया यशोदा खुल कर हँसीं ………..पर हँसी कुछ ही क्षण फिर आँसू में बदल गए थे ।

यही आँगन है ………..जहाँ एक दिन मचल गया था कन्हाई ……..कहनें लगा …..माखन दे ……फिर कहने लगा था चन्दा दे, फिर तो रोते हुए धरती में लोट गया ।

ओह ! कितनें वर्षों बाद हँस रही थीं आज मैया ।

कहनें लगा था – ब्याह करा दे………ब्याह करा दे….।

बलराम सुन रहे हैं ………….उन संकर्षण को ये समझते देर न लगी थी कि ……कृष्ण के वियोग में बृज की क्या स्थिति हो गयी है !

चन्द्रावली ! चन्द्रावली ! जल लानें में इतनी देर ?

अरे ! मुझ बूढी को ही उठना पड़ेगा ……….कोई गोपी भी तो आजकल यहाँ नही आती ………..दाऊ ! बुलाती हूँ तो कहतीं हैं …….”कन्हाई ज्यादा याद आता है नन्दभवन में “।

आप बैठिये मैया ! मैं स्वयं जल पी लूँगा ………दाऊ उठे ।

नही बैठ तू ? मेरा दाऊ ! तुझे “दाऊ दादा” कहता था कन्हाई ……..अब दाऊ दादा आया है तो………कितना हँस रही थीं मैया ।

ओह ! चन्द्रावली ! मैया जोर से चिल्लाईं ……….

दाऊ भीतर गए ……….जब देखा तो चन्द्रावली मूर्छित पड़ी थी ।

“सोलह हजार विवाह” की बात सुन ली थी चन्द्रावली नें ।

शेष चरित्र कल –

🌸 राधे राधे🌸

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