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September 14, 2025 6:42 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम …भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम …भाग 2 : Niru Ashra

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 107 !!

ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम …
भाग 2

     मन प्रफुल्लित हो उठा ,  बलराम भैया  को देखते ही  ।

मैं दौड़ पड़ा था ………ग्वालों के मध्य में बैठे थे दाऊ भैया …………..मुझे देखते ही वो भी उठकर खड़े हो गए ……….और अत्यधिक प्रसन्नता से मुझे अपनें हृदय से लगा लिया था ।

मनसुख, मधुमंगल, तोक, इत्यादि सब सखा थे वहाँ ।

मुझसे कुशलता पूछी दाऊ नें ………फिर मेरे पिता बृषभान जी और मेरी मैया के बारे में भी पूछा…………”मैं कल आऊँगा बरसाना” ।

गम्भीर तो ये शुरू से ही थे ……..चंचल तो वही हमारा सखा ही था ।

कहाँ खो गए श्रीदामा !

दाऊ नें  मुझे  कुछ सोचते हुए देखा  तो पूछ लिया  ।

दाऊ ! सुना है तुम लोग द्वारिका चले गए ? मैने पूछा ।

क्या द्वारिका में गैया हैं ? मनसुख बीच में ज्यादा बोलता है ।

क्या ऐसे वन, वृक्ष, पक्षी हैं द्वारिका में ?

अब तोक सखा नें भी पूछा ।

दाऊ ! बताओ ……..द्वारिका कहाँ है ? मधुमंगल का प्रश्न था ।

समुद्र का द्वीप है द्वारिका ……………दाऊ नें बताया ।

यमुना नही हैं वहाँ ? मनसुख चुप नही रह सकता ।

मुस्कुराये दाऊ ………नही ……वहाँ यमुना नही है ।

फिर तुम लोग नहाते कहाँ हो ? मनसुख ही बोल रहा है ।

अरे पागल ! समुद्र में भी पानी होता है …….और समुद्र में यमुना से भी ज्यादा पानी होता है ……………पानी पानी होता है ……मधुमंगल नें समाधान किया ।

दाऊ ! फिर तो नहानें मत जाना समुद्र में ……………डूब गए तो !

मनसुख सजल नयन से बोला – दाऊ ! तू भले ही समुद्र नहा लियो …….क्यों की तू तो शक्तिशाली है ………..तू तो बड़ा है …….

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

👏 राधे राधे👏

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