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September 14, 2025 6:59 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !!-ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..भाग 3 : Niru Ashra

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” – 107 !!

ग्वाल सखाओं के मध्य बलराम ..
भाग 3

दाऊ ! फिर तो नहानें मत जाना समुद्र में ……………डूब गए तो !

मनसुख सजल नयन से बोला – दाऊ ! तू भले ही समुद्र नहा लियो …….क्यों की तू तो शक्तिशाली है ………..तू तो बड़ा है …….

पर हमारे कन्हैया को मत जानें देना समुद्र में …………..उसको पकड़ कर रखना ……….कहीं जिद्द में आकर कालीदह की तरह समुद्र में कूद गया तो …….हाँ …..दाऊ ! वो बड़ा चंचल है ………कूद भी जाएगा …….

तू चुप रह यार ! …..कितना बोलता है ……मैने मनसुख को कहा था ।

मैने गलत क्या कहा …………..क्या तुम लोगों को पता नही है …….कालीदह में कैसे कूद गया था …………अब ये तो वृन्दावन था ……तो बच गया ………पर वो तो समुद्र है …………..कहीं हमारा कन्हैया डूब गया तो ………….रो गया मनसुख …….दाऊ ! मेरी तरफ से कहना …….वो समुद्र में नहानें न जाए ।

मनसुख ! क्या हुआ ? तू क्यों रो रहा है ?

मैया यशोदा आज थोड़ी ठीक लग रही हैं…..कन्हाई न सही ….बड़ा भाई तो है कन्हाई का…..मैया को अच्छा लग रहा है दाऊ को देखना ।

मनसुख नें कहा …..मैया ! समुद्र यमुना जी से बड़ा है……दाऊ को कह रहा था मैं ……कि अपनें कन्हैया को समुद्र में नहानें को मत कहना ।

वृन्दावन से समृद्ध है तेरी द्वारिका दाऊ ?

मैया पूछती है ।

तुम भी कैसी बात करती हो …….सुवर्ण की है द्वारिका ।

नन्द बाबा आगये थे…….दाऊ नें चरण वन्दन किया ।

अच्छा ! सोनें की द्वारिका है ? मनसुख चौंक गया ।

पर दरिद्र है इस वृन्दावन के आगे वो सुवर्ण की द्वारिका ।

हाँ ………मैं सच कह रहा हूँ……..इस प्रेमभूमि के आगे द्वारिका का वो वैभव तुच्छ है…….इस दिव्य वृन्दावन के आगे ……….

बलराम जी नें बड़ी दृढ़ता से कहा था ।

शेष चरित्र कल –

👏 राधे राधे👏

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