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July 21, 2025 4:04 pm

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श्रीजगन्नाथ मंदिर सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्रीमती अंजली नंदा जी तथा संस्थान के अन्य भक्त जनो सहीत श्री सुरेशभाई गुंडीचा मंदिर सभी ने संयुक्त रुप मेंउपस्थित रहकर श्रीमहेशभाई आगरीया को भगवान श्रीजगन्नाथ जी की मुल छबी भेट की ।

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:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास ::

अलक्ष्मी के चौदह पुत्र हैं। इनके चौदहवें पुत्र का नाम दुःसह है। जन्म लेते ही यह भूख प्यास से पीड़ित, चीथड़े लपेटे, मुंह नीचे किए हुए और दुखी होकर पितामह ब्रह्मा जी के पास जाता है। अलक्ष्मी पुत्र दुःसह ब्रह्मा जी से कहता है कि मुझे निवास स्थान और भोजन दीजिए नहीं तो मैं पूरे विश्व का भक्षण कर जाऊंगा।

ब्रह्मा जी ने उसको मनुष्यों के घर में रहने की आज्ञा दी। निम्न जगहों पर दरिद्रता का निवास होता है –

1- जिस घर में सुबह शाम कलह और झगड़ा होता है।

2- जिस घर में अतिथियों, माता पिता दामाद का आदर सत्कार नहीं होता वहां दुःसह निवास करने लगता है।

3- जिस घर में परोसे गए अन्न की निंदा की जाती है, वहां दरिद्रता वास करने लगती है।

4- टूटे फूटे बर्तन में खाने वाला, आस पास बैठे लोगों से बिना पूंछे खाना शुरू करने वाला दरिद्रता का शिकार हो जाता है।

5 – जिस घर में मुर्दा शरीर एक दिन से अधिक पड़ा रहता है वहां दुःसह के साथ अन्य राक्षस भी निवास करने लगते हैं।

6- जिस घर में स्त्रियां प्रसन्न नहीं रहतीं, जिन स्त्रियों की आवाज घर के बाहर तक जाती है वहां दुःसह रहने लगता है।

7– जिस घर के बाहर गाय, भैंस, घोड़ा, गधा बिना खाए पिए बंधे रहते हैं वहां दरिद्रता आती है।

8- जो धर्म परायण नहीं है, अपने नित्य कर्मों को करना छोड़ देता है, वहां से लक्ष्मी चली जाती हैं और दरिद्रता आ जाती है।

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Author: admin

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