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July 21, 2025 4:14 pm

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 36 ,: Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 36 ,: Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 36 अर्जुन उवाचअथ केन प्रयुक्तोSयं पापं चरति पुरुषः |अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजितः || ३६ || अर्जुनः उवाच – अर्जुन ने कहा; अथ – तब; केन – किस के द्वारा; प्रयुक्तः – प्रेरित; अयम् – यः; पापम् – पाप; चरति – करता है; पुरुषः – व्यक्ति; अनिच्छन् – न … Read more

अध्याय 3 : कर्मयोअध्याय 3 : कर्मयोग🌹श्लोक 3 . 35 श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् |स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः || ३५ || : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोअध्याय 3 : कर्मयोग🌹श्लोक 3 . 35 श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् |स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः || ३५ || : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 3 . 35🌹🌹🌹🌹श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् |स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः || ३५ || श्रेयान् – अधिक श्रेयस्कर; स्वधर्मः – अपने नियतकर्म; विगुणः – दोषयुक्त भी; पर-धर्मात् – अन्यों के लिए उल्लेखित कार्यों की अपेक्षा; सू-अनुष्ठितात् – भलीभाँति सम्पन्न; स्व-धर्मे – अपने नियत्कर्मों में; निधनम् – विनाश, मृत्यु; श्रेयः – श्रेष्ठतर; पर-धर्मः … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेमनगर 55 -“जहाँ सकामता ही निष्कामता है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेमनगर 55 -“जहाँ सकामता ही निष्कामता है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेमनगर 55 -“जहाँ सकामता ही निष्कामता है” ) गतांक से आगे – यत्र सकामत्वमेवाकामत्वम् ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेमनगर में ) सकामता ही निष्कामता है । *हे रसिकों ! प्रेमनगर में सकाम और निष्काम का झंझट नही है ….”अपने प्रिय के लिए चाहना” – भले … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-बरसानें में बलराम…भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-बरसानें में बलराम…भाग 1 : Niru Ashra

🍃🍁🍃🍁🍃🍁 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !! बरसानें में बलराम…भाग 1 इन्दु ! सुन ना ! देख बरसानें में आज दाऊ जी आरहे हैं सन्ध्या में …….आज मैं प्रसन्न हूँ …. दाऊ को भी उनके अनुज नें ही भेजा है ऐसा श्रीदामा भैया बता रहे थे …….हमारी याद आती है उन्हें तभी तो भेजा है ना अपनें … Read more

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: Niru Ashra

:: दरिद्रता और अलक्ष्मी का वास :: अलक्ष्मी के चौदह पुत्र हैं। इनके चौदहवें पुत्र का नाम दुःसह है। जन्म लेते ही यह भूख प्यास से पीड़ित, चीथड़े लपेटे, मुंह नीचे किए हुए और दुखी होकर पितामह ब्रह्मा जी के पास जाता है। अलक्ष्मी पुत्र दुःसह ब्रह्मा जी से कहता है कि मुझे निवास स्थान … Read more