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July 21, 2025 6:22 am

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आज के विचार-!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-: Niru Ashra

आज के विचार-!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-: Niru Ashra

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आज के विचार

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!

बरसानें में बलराम
भाग 3

ये प्रश्न फिर किया श्रीराधा जी नें ।

हे राधा ! आप लोगों को ही तो मेरा कन्हा याद करता रहता है ….

कोई भी प्रसंग हो ……..आप लोगों को ही याद करता है ।

उसके हृदय में आप लोग हो ……..मैं झूठ नही बोलूंगा ……….उनके सामनें आप हो ………….द्वारिका में मात्र उसका शरीर है ………उसकी आत्मा, सबकुछ यहीं है …………वो कतिपय प्रसंगों में मुझ से कह भी चुका है कि ………दाऊ ! वृन्दावन का प्रेम बहुत याद आता है ।

हे राधा ! मैं झूठ नही कह रहा ……..उद्धव, श्याम और मैं ….शाम के समय जब सागर किनारे घूमते हैं ………तब श्याम सजल नयन से आप लोगों की ही चर्चा करता है ।……….कृष्णाग्रज बलभद्र बरसानें में श्रीराधा रानी के सामनें बोले जा रहे हैं……….सखियाँ सुन रही हैं ………..बोलना चाहती हैं ………हाँ उद्धव होता तो कुछ बोल भी देतीं …….पर प्रियतम के बड़े भाई है………इसलिये केवल सुन रही हैं ……।

जब दाऊ नें कहा………….वो तुम्हे याद करके रोते हैं ।

ओह ! इतना सुनते ही श्रीराधारानी उच्च स्वर में रोनें लगीं थीं ……..आवेश आगया श्रीराधा को…….उन्माद में भर गयीं ।

हा प्राण ! हा श्याम सुन्दर ! हा मनमोहन !

घूँघट इत्यादि को हटा कर तमाल वृक्ष को आलिंगन करनें के लिये दौड़ पडीं श्रीराधा रानी ………और वहाँ जाकर मूर्छित हो गयीं ………….सखियाँ दौड़ीं ।

दाऊ जी नें इस दृश्य को देखा …. …. ऐसा प्रेम उन्माद !

दाऊ का शरीर शीतल होनें लगा…………ऐसा दृश्य इन्होनें देखा नही था आज तक…….ओह ! यहाँ ऐसी स्थिति है कन्हाई को लेकर ।

ये लोग अभी भी आस लगाए बैठे हैं …………कि वो आएगा !

ये बेचारी राधा ! ये सखियाँ ! ग्वाल बाल ……….ये वृन्दावन ! मैया यशोदा ….बाबा नन्द ….उफ़ ! ये सब तब से विरहाग्नि में जल रहे हैं जब से श्याम सुन्दर यहाँ से गया है ?

सहन नही हुआ दाऊ से ये दृश्य ……….अनन्त के रूप ….संकर्षण काल के स्वरूप बलभद्र को चक्कर आनें लगे …………शरीर ठन्डा पड़नें लगा …………..

मैं इन्दु …….उठी ……….और सामनें कदम्ब का वृक्ष् ……….उस कदम्ब वृक्ष के फूलों से निकलनें वाला वारुणी रस ……….उसे लेकर आयी मैं ……और दाऊ भैया को वो वारुणी मैने दिया ……दाऊ नें उसे पीया था …….तब उन्हें ठीक सा लगा ।

हे वज्रनाभ !

संकर्षण भी वृन्दावन में लगे इस भीषण विरहानल से डर गए थे ।

कैसे नही डरते ………ये विरहानल था ही इतना भीषण ।

शेष चरित्र कल –

💞 राधे राधे💞

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