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July 21, 2025 4:12 pm

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 37 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 37 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग🌹🌹🌹🌹🌹🌹श्लोक 3 . 37🌹🌹🌹🌹श्री भगवानुवाचकाम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः |महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम् || ३७ || श्री-भगवान् उवाच – श्रीभगवान् ने कहा; कामः – विषयवासना; एषः – यह; क्रोधः – क्रोध; एषः – यः; रजो-गुण – रजोगुण से; समुद्भवः – उत्पन्न; महा-अशनः – सर्वभक्षी; महा-पाप्मा – महान पापी; विद्धि – जानो; एनम् … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेमपत्तनम्” !! : ( प्रेमनगर 57 – “और जहाँ चन्द्र भी सूर्य लगता है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेमपत्तनम्” !! : ( प्रेमनगर 57 – “और जहाँ चन्द्र भी सूर्य लगता है” ) : Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेमपत्तनम्” !! ( प्रेमनगर 57 – “और जहाँ चन्द्र भी सूर्य लगता है” ) गतांक से आगे – यत्र चन्द्र एव रवि : ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेम नगर में ) चन्द्रमा भी सूर्य की तरह लगता है । *हे रसिकों ! प्रेम में सूर्य चन्द्रमा की तरह शीतल … Read more

आज के विचार-!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-: Niru Ashra

आज के विचार-!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !!-: Niru Ashra

🍃🍁🍃🍁🍃🍁 आज के विचार !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 108 !! बरसानें में बलरामभाग 3 ये प्रश्न फिर किया श्रीराधा जी नें । हे राधा ! आप लोगों को ही तो मेरा कन्हा याद करता रहता है …. कोई भी प्रसंग हो ……..आप लोगों को ही याद करता है । उसके हृदय में आप लोग हो ……..मैं झूठ … Read more