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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !!
कन्हाई की वर्षगाँठ
भाग 2
वृन्दावन मुझे याद ही नही रहा……..मैं तो चातुर्मास, किसी पवित्र तीर्थ में वास करनें के लिए निकला था…….पर मुझे कन्हैया नें कहा –
दाऊ !
अपना वृन्दावन किसी तीर्थ से कम है क्या ?
ओह ! मैने वृन्दावन के बारे में सोचा नही था……इसलिये नही सोचा था कि ……कृष्ण के बिना बलराम वृन्दावन में जाकर करेगा क्या ?
पर कृष्ण नें जिद्द की…………..और मैं तो कहूँगा मेरे कृष्ण नें मेरे ऊपर कृपा की ………कि मुझे यहाँ भेज दिया ……वृन्दावन भेज दिया …………..प्रेम रस को मैं तो भूल ही चुका था …….द्वारिका की राजनीति, कूटनीति, शत्रुओं से सदैव सावधान ……कितनें झंझावात ।
पर जाकर कहना चाहूँगा कृष्ण से ………….तुमनें मुझे वृन्दावन भेज कर अच्छा किया ……बहुत अच्छा किया ।
नन्दगाँव आगया था ।
…….श्रीदामा को मैने हृदय से लगा कर विदा किया ।
दाऊ ! कल हम सब बरसानें वाले भी आयेंगें तुम्हारे यहाँ ?
हाथ हिलाते हुये बोला था श्रीदामा ।
कल कन्हाई की वर्ष गाँठ है ना ! इसलिये हम सब आयेंगें ।
ओह ! कल है भादौं कृष्ण अष्टमी ?
मैं प्रसन्न हो कर महल में प्रवेश कर रहा था ……….कल जन्मदिन है हमारे कन्हाई का।
ये उपहार दे आओ ना ! मेरी प्रार्थना है आपसे ।
आज के दिन तो मेरी बात मान लो ………..साल भर से इकठ्ठी करके रखीं हैं मैने …….आज उसका जन्मदिन है ………ले जाओ ना ! पास में ही तो है मथुरा ……………..
रात्रि की वेला थी…………..अर्धरात्रि …………….
पर मैया यशोदा को लग रहा है कि सुबह होनें वाली है ।
मैं तो रात्रि को, आते ही सो गया था ……….मैया कह रही थी कुछ खायेगा दाऊ ? तो मैने कहा …..बरसानें के लोगों नें बहुत खिला दिया है ….मैं सो रहा हूँ मैया ! मैं सो गया था ।
हाँ ….सो जा …..सो जा !
मेरे पास तो तू अभी तक बैठा ही नही है ………….मुझे कितनी बातें करनी है तुझ से कन्हाई के बारे में ………पर तू मेरे पास बैठता ही नही ……हाँ ……हम बूढ़े बड़े लोगों के पास तुम युवा लोग क्यों बैठोगे ?
बोलती रहीं थीं मैया यशोदा………..मुझे तो नींद आगयी थी ।
पर अर्धरात्रि में …………”आप क्यों ऐसा कर रहे हो ? मैं वैसे ही दुःखी हूँ ……मेरा लाला मथुरा गया, आज वर्षों होनें को आये ……..मैने उसका मुँह तक नही देखा है …………..मुझ दुखियारी का दुःख कुछ तो समझिये ……जाइए ना ! ये कुछ उपहार हैं ………उसके लिये ये मोर मुकुट है ……उसके लिये ये गुंजा की माला है …….ये माखन ।
क्रमशः …
शेष चरित्र कल –
🌸 राधे राधे🌸

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