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July 21, 2025 12:45 am

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વ : Manoj Acharya

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વ : Manoj Acharya

ધાર્મિક કથા : ભાગ 261અન્નકૂટ દર્શન 🙇🏻‍♂️ તથા તેનું મહત્વભાગવત્‌ પુરાણ પ્રમાણે આશરે પાંચ હજાર વર્ષ પૂર્વ ગોકુળમાં નૂતન વર્ષથી અન્નકૂટોત્સવનો પ્રારંભ થયો છે. શ્રી નંદરાયજી એમ માનતા હતા કે ઈન્દ્ર વરસાદનો રાજા છે તેથી તે દર વર્ષે વરસાદ વરસાવે અને આપણું ભરણપોષણ કરે છે. આથી તેઓ દર વર્ષે બેસતા વર્ષના દિવસે યજ્ઞ કરીને ઈન્દ્રની … Read more

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 39 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग-श्लोक 3 . 39 : Niru Ashra

अध्याय 3 : कर्मयोग श्लोक 3 . 39 आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा |कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च || ३९ || आवृतम् – ढका हुआ; ज्ञानम् – शुद्ध चेतना; एतेन – इससे; ज्ञानिनः – ज्ञाता का; नित्य-वैरिणा – नित्य शत्रु द्वारा; काम-रूपेण – काम के रूप में; कौन्तेय – हे कुन्तीपुत्र; दुष्पूरेण – कभी भी तुष्ट न … Read more

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) : Niru Ashra

महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (043) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) भगवान ने वंशी बजायी अब भला। भगवान किसी को कहें कि तुम मेरे प्राण, तुम मेरे जीवन, तुम मेरे प्यारे, तुम मेरे सर्वस्व, और उसका दिल पिघल न जाय, पानी-पानी न हो जाय, तो कोई पत्थर ही होगा। लेकिन आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए- यह … Read more

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ): Niru Ashra

!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 59 – “जहाँ असती ही सती है” ) गतांक से आगे – यत्रासतीत्वमेव सतित्वम् ।। अर्थ – जहाँ ( प्रेमनगर में ) असती ही सती कहलाती है । *हे रसिकों ! ये प्रेमनगर है यहाँ जो व्यभिचारिणी है …जिसे संसारी लोग “असती” कहते हैं … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! – कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! – कन्हाई की वर्षगाँठ भाग 2 : Niru Ashra

👏👏👏👏 !! “श्रीराधाचरितामृतम्” 109 !! कन्हाई की वर्षगाँठभाग 2 वृन्दावन मुझे याद ही नही रहा……..मैं तो चातुर्मास, किसी पवित्र तीर्थ में वास करनें के लिए निकला था…….पर मुझे कन्हैया नें कहा – दाऊ ! अपना वृन्दावन किसी तीर्थ से कम है क्या ? ओह ! मैने वृन्दावन के बारे में सोचा नही था……इसलिये नही सोचा … Read more