*श्रीकृष्णचरितामृतम्*
*!! “पनघट पे” – एक प्रेम प्रसंग 3 !!*
*भाग 6*
अरे ! मेरी बाँसुरी कहाँ है ? कन्हाई नें जब देखा इधर उधर तो बाँसुरी गायब थी …………
‘चरोरन घर चोरी है गयी”………….हँसें कन्हाई ………..या बृज को सबते बड़ो चोर मैं हूँ ………पर मेरो भी चोर कौन है !
सोचनें लगे ………तभी , श्याम सुन्दर सब समझ गए ।
ओह ! तो राधारानी नें मेरी बाँसुरी चुराई है …….ललिता नें उकसाये के मेरी बाँसुरी चुराय लिनी है ………वो बाँसुरी तो राधा रानी के पास है अब ………….
नींद नही आवे बिना बाँसुरी के ………चैन नही पड़े बिना बाँसुरी के ।
कन्हाई उठे ………….और चल दिए श्रीराधारानी के पास ।
दिव्य कुञ्ज है …………..तमाल का कुञ्ज घना है ……….सामनें ही एक सरोवर भी है ……….कमल खिल रहे हैं उसमें ………….लताओं का झुकाव अलग ही कुञ्ज की शोभा को और दिव्य बना रहा है ।
कुञ्ज के मध्य में श्रीराधा रानी विराजमान हैं ……….अष्ट सखियाँ चारों ओर खड़ी हैं ……………….
श्याम सुन्दर गए उस दरबार में ।
ललिता सखी नें देखा तो आगे आकर खड़ी हो गयी ।
क्यों आये हो श्याम सुन्दर ! ललितासखी अकड़ कर बोली ।
कहाँ है ? कन्हाई बोले ।
हम पे नही है …..ललिता सखी नें कहा ।
का नही है ? हँसे कन्हाई ।
तुमनें कही , “कहाँ है “……..तो हमनें भी कही ……”हम पे नायँ” ……
प्यारे ! हम नें तो तुक मिलाई है……….ललिता अब हँसी ।
सखी ! तुक बाद में मिलइयो ……..पहले हमारी बाँसुरी दे दो ।
जाओ कन्हाई ! जाओ ! ये राधारानी को दरबार है ………यहाँ चोरन को काम नही है …….जाओ ।
कन्हाई नें राधारानी से हाथ जोड़कर कहा …………
मैं बाँसुरी के बिना रह नही सकता………मोकूँ नींद नही आवे है ………हे राधे ! मेरी बाँसुरी दे दो !
ललिता सखी फिर आगे आयी ………..
हमारे पास में नही है ..श्याम सुन्दर !
……अगर मैने तुम्हारे पास ते बाँसुरी निकाल दियो तो ?
अब जाओ तुम यहाँ ते ……..ललिता नें छेड़ते हुए श्याम को कहा ।
मैं भी नन्द को छोरा नही …..जो मैने तुमते बाँसुरी नही लई तो !
मैं भी नन्द गाँव को हूँ ………मैं तुम बरसानें वारिन कुँ चोर बनाय के ही मानुंगो ………….और अपनी बाँसुरी कुँ ले जाउंगो ।
कन्हाई भी बोल कर चल दिए ………ललिता जोर से बोली ……..चोर तो तुम हो …………हमारी प्यारी जु चोरी नायँ करें ……..।
ये सुनकर कन्हैया भी गुस्से में चरण पटकते हुए चले गए थे ।
ये क्या है ? हँसे विदुर जी ।
आत्माराम की लीला …………अपनी ही आत्मा राधारानी से लीला करते हैं श्याम सुन्दर ……….यही तो सुन्दरता है इस लीला की ………
क्रमशः ….


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