श्रीकृष्णचरितामृतम्* *!!”पनघट पे” – एक प्रेम प्रसंग 4 !!* *भाग 7* : Niru Ashra
श्रीकृष्णचरितामृतम्**!!”पनघट पे” – एक प्रेम प्रसंग 4 !!**भाग 7*ये लीला है , इसमें लीलायित स्वयं ब्रह्म हो रहा है …..ब्रह्म स्वयं लीला रचता है …..और फिर लीला ही बन जाता है …….वो रस लेता है …..रस स्वयं है …..फिर भी वह रस का रसिक है ।तात ! लीला का कोई उद्देश्य नही होता….लीला का एक … Read more