Explore

Search

July 7, 2025 6:31 am

लेटेस्ट न्यूज़

श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा संस्थान दुनेठा दमण ने जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा दुनेठा मंदिर से गुंडीचा मंदिर अमर कॉम्प्लेक्स तक किया था यात्रा 27 जुन को शुरु हुई थी, 5 जुलाई तक गुंडीचा मंदिर मे पुजा अर्चना तथा भजन कीर्तन होते रहे यात्रा की शुरुआत से लेकर सभी भक्तजनों ने सहयोग दिया था संस्थान के मुख्या श्रीमति अंजलि नंदा के मार्गदर्शन से सम्पन्न हुआ

Advertisements

कौन आ गया ? जिसके लिए भगवान दौड़े चले ? : Kusuma Giridhar

कौन आ गया ? जिसके लिए भगवान  दौड़े चले ? : Kusuma Giridhar

जय श्री कृष्ण जी।
🙏🌹🙏🌹🙏🇮🇳
नङ्गे पैर सुदबुध खोए तीनो लोको के स्वामी दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, लक्ष्मणा और भद्रा भी पागल सी दौड़ रही है, ये कौन आ गया जिसके लिए भगवानों के भगवान दौड़ रहे है?

मंत्री, सेनापति, द्वारपाल सब जड़ होकर खड़े है, ऊपर ब्रह्मा जी , कैलाशपति, बृहस्पति, देवराज इंद्र, सूर्य, चन्द्र, यम,शनि सब की चाल रुक गई, पशु पक्षी, नगर गांव सब के सब थम गए। खुद भाग्य विधाता, माया के रचयिता, प्रेम के वशीभूत अश्रु बहाते दौड़ रहे है।

महल के द्वार से फटेहाल वस्त्र में भगवा वस्त्रधारे सुदामा लौट रहे है, उनके पैरों में बिवाई पड़ी थी, कमर झुकी जा रही थी, मानो गरीबी ने उनके देह को भी दरिद्र से भर दिया हो। “सखा, सखा!” कहते दौड़ते हुए श्री कृष्ण उस गरीब ब्राह्मण के गले जा लगे।

पल, क्षण, घड़ियां बीतती रही, अश्रुओं की बारिश में भीगे दोनो मित्र एक दूजे के गले लगे रहे, देवगण, गन्धर्व, मनुष्य, पशु, पक्षी सब मंत्रमुग्ध से प्रेम के इस पावन मिलन को देखते रहे। रुक्मणि के पुकारने पर भगवान को स्मरण हुआ कि सुदामा को अंदर लेकर जाना चाहिए।

सुदामा के दोनो पैरों को धोते हुए प्रेम से अश्रुधारा गिराते श्री कृष्ण बार बार “मेरे सखा, मेरे सखा!” बस यही पुकारते रहे। जब सुदामा की खूब सेवा हो गई तो श्री कृष्ण ने सुदामा से कहा,”सखा मेरे लिए भाभी जी मे क्या भेजा है?” संकोच के मारे सुदामा चावल की पोटली को छुपाने का प्रयास करने लगे और मदन मुरारी ने मुस्कुराते हुए उनसे वो पोटली छीन ली।

बड़े भाव से श्री कृष्ण ने पोटली से पहली मुट्ठी भर कर खाई और सारे स्वर्ग का वैभव सुदामा के नाम कर दिया, दूसरी मुट्ठी चावल में पृथ्वी की सारी सम्पदा सुदामा के नाम कर दी और तीसरी मुट्ठी भर के जैसे ही चावल खाने लगे, स्वयं लक्ष्मी रुक्मणि जी ने उन्हें रोक लिया,”प्रभु बैकुंठ रहने दीजिए।”

रुक्मणि ने पूछा कि कृष्ण का मित्र इतना दरिद्र कैसे? तब भगवान ने इसके पीछे की कथा बताई। जब पांच दिन से भूखी ब्राह्मणी को भिक्षा में तीन मुट्ठी चने मिले तो उसने उसे पोटली में बांध कर सिरहाने रख दिया कि स्नान ध्यान के बाद ग्रहण करूंगी। पर चोर चुरा कर दौड़ गया तो ब्राह्मणी ने शोर मचाया, लोगो के पीछा करने पर डर के मारे चोर चने की पोटली संदीपनी ऋषि के आश्रम में गिरा गया। उधर ब्राह्मणी ने श्राप दिया जो ये चने खायेगा दरिद्र हो जाएगा।

गुरु माता ने वही पोटली श्री कृष्ण और सुदामा को पकड़ाई की जब जंगल से लकड़ी लाने जाओ और भूख लगे तो ये खा लेना। सुदामा ब्रह्म ज्ञानी पोटली हाथ मे लेते ही रहस्य जान गए और सारे चने स्वयं खा गए, गुरु मां की आज्ञा भी रह गई और मित्र कृष्ण को भी बचा लिया। लेकिन वे भूल गए यदि वे ब्रह्म ज्ञानी है तो कृष्ण स्वयं नारायण है। सुदामा मित्र से विदा लेकर घर गए तो देखा झोपड़ी की जगह महल खड़ा है, गरीब ब्राह्मणी रानी बनी उनकी प्रतीक्षा कर रही है।

एक ने मित्रता में मित्र के कष्ट ले लिए दूजे ने सारे कष्ट हर लिए। मित्रता भावों के वश है, प्रेम के वश है, धन संपदा तो आती जाती रहेंगी, पर प्रेम स्थायी रहेगा।
जय श्री राधे राधे जी।
🙏🌹🙏🌹🙏❤️
📷 : गीताप्रेस के चित्रकार बी. के. मित्रा द्वारा बनाया गया सुदामा जी के महल का सुंदर चित्र

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements