Explore

Search

June 6, 2025 3:39 am

लेटेस्ट न्यूज़

दमन में सड़क सुरक्षा अभियान को मिली नई दिशा, “Helmet Hero “मुहिम के अंतर्गत आयोजित हुई जागरूकता ग्राम सभा माननीय प्रशासक श्री प्रफुलभाई पटेल के कुशल नेतृत्व में दमन में सड़क सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता अभियानोंको नई गति

Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! प्रेम विमर्श – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! प्रेम विमर्श – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! प्रेम विमर्श – “रासपञ्चाध्यायी” !!

भाग 2

कुछ देर रुके श्यामसुन्दर ……….अपनी प्रिया श्रीराधा को निहारा …….फिर बोले – हे किशोरी जी ! जो प्रेम करनें वाले से भी प्रेम न करे……ऐसे कुछ लोग होते हैं ………ये होते हैं – आत्माराम , और पूर्णकाम ……….ये दोनों अत्यन्त वन्दनीय हैं ……..क्यों कि इन्हें सर्वत्र अपनी आत्मा के ही दर्शन होते हैं ………….ये सबसे प्रेम करते हैं ……….किसी से कम या किसी से ज्यादा नही ……..।

पर हे राधे ! दो लोग और होते हैं समाज में ………जो प्रेम करनें वाले से भी प्रेम नही करते ………श्रीकृष्ण, “प्रेम” पर अच्छा विमर्श कर रहे हैं यमुना पुलिन पर ……सब गोपियाँ ध्यान से एक एक शब्द सुन रही हैं ।

एक होते – कृतध्नी , और दूसरे होते हैं गुरुद्रोही ।

कृतघ्नी वो हैं ……जो किसी के किये हुये उपकार को न मानें ।

हे राधे ! मैं उसे अपराधी मानता हूँ……कोई प्रेम कर रहा है……उसके प्रेम का कोई सत्कार नही ! वो कुपुरुष है ।…..श्याम सुन्दर गम्भीर बनें रहे ।

और वही गुरुद्रोही भी कहलाता है ………..जो प्रेम न करे और प्रेम करनें वालों को कष्ट और दे ।…..बस – इतना श्याम सुन्दर क्या बोले ……..सखियों नें तो व्यंग में हँसते हुये तालियाँ बजा दीं ।

चारों ओर आश्चर्य से देखा श्याम सुन्दर नें ………….क्यों ? मैने ऐसा क्या किया जो मेरे लिये करतल ध्वनि कर रही हो ?

क्या किया ? श्रीराधा रानी हँसी ………क्या नही किया तुमनें ?

क्या कमी छोड़ी तुमनें दुःख में देंने में …….हे नन्दनन्दन ! हमनें प्रेम किया था तुमसे ……….तुम्हारे लिये सब कुछ त्यागा ………क्या नही त्यागा …….पर तुमनें क्या किया ? क्या कृतघ्न और गुरुद्रोही तुम ही नही हो ? श्रीराधा रानी नें रोष में भरकर कहा था ।

उठ गए श्याम सुन्दर………श्रीराधारानी के निकट आये ……….और देखते ही देखते बैठ गए घुटनों के बल ……….अपनें दोनों हाथों को जोड़ लिया………पीताम्बरी श्रीराधा रानी के चरणों में गिर गयी थी ।

हे मेरी राधे ! और हे मेरी प्यारी गोपियों ! तुम्हारे प्रेम का वर्णन मैं स्वयं भी नही कर सकता ………..सच है ये परिवार- संसार के बन्धन को बड़े बड़े योगी लोग भी नही तोड़ पाते ……….पर तुम लोगों नें तो सरलता से ही तोड़ दिया ………………मैं जानता हूँ ये श्याम सुन्दर तुम सबका अपराधी है ………पर हे मेरी गोपियों ! मैं तुम्हारे प्रेम को घटाना नही चाहता था ………मैं तो दिनोदिन ये प्रेम तुम्हारा बढ़ता ही रहे ……ऐसा सोचकर यहीं छुप गया था ……….कहीं गया नही था …….कहीं से मैं आया नही हूँ ……..मैं यहीं तुम्हीं लोगों के बीच छुप कर, तुम्ही लोगों को देख रहा था …….ताकि मैं तुम्हारे इस दिव्य प्रेम को और बढ़ता देखूँ ………और मैं देख रहा हूँ ……….हे मेरी सखियों ! जब मैं तुम लोगों के पास था …..तब तुम्हारा प्रेम इस उच्च अवस्था में नही पहुँचा था …..पर अब ? अब तो सर्वोच्च पद पर तुम्हारा ही प्रेम विराजमान है ।

“विरह से प्रेम बढ़ता है”……ये नियम है प्रेम का मेरी बृजांगनाओं !

ये कहते हुए श्रीराधा रानी के चरणों में अपना मुकुट झुका दिया था श्याम सुन्दर नें……..टप्प टप्प टप्प आँसू गिरनें लगे थे श्याम सुन्दर के , और वे आँसू श्रीजी के चरणों को धो रहे थे ।

“ये कृष्ण तुम लोगों के प्रेम से कभी उऋण नही हो सकता”

इतना ही बोल सके श्रीकृष्ण……कण्ठ अवरुद्ध हो गया श्यामसुन्दर का ।

तभी श्रीराधारानी नें श्यामसुन्दर को उठाकर अपनें हृदय से लगा लिया था ………..जय हो ! जय हो ! सब सखियाँ बोल उठीं थीं ।

*शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements