Explore

Search

September 13, 2025 9:58 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मैया का उन्माद – “उद्धव प्रसंग 10” !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मैया का उन्माद – “उद्धव प्रसंग 10” !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! मैया का उन्माद – “उद्धव प्रसंग 10” !!

भाग 1

सन्ध्या की वेला हो गयी थी…….मुझे ग्वाल सखाओं नें बता दिया था कि नन्दभवन में कैसे जाना है………मैं वैसे ही चला था ।

वो नन्दभवन ! कभी इसमें नित्य उत्सव होते होंगे …….कभी इसमें हंसी ठहाके श्रीकृष्ण के गूंजते होंगे ……….मैं नन्दभवन के विशाल द्वार को देख रहा था ………..द्वार पर कोई नही था ……मैने रथ को खड़ा किया और जब उस भूमि में अपनें पाँव रखे ………ओह ! ये क्या ! यहाँ की भूमि मुझे कम्पित कर रही थी ………ऊर्जा ……..नही नही अतिसम्वेदनशील ऊर्जा थी यहाँ की ……कितनी कोमल अवनी है ……और यहाँ की रज । ………….मैं धीरे धीरे नन्दभवन की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ रहा था …………कोई नही दिखाई दिया मुझे वहाँ ।

नन्द महाराज कहाँ होंगे ? नन्द महाराज तो बृज मण्डल के मुखिया हैं फिर उनके यहाँ कोई द्वारपाल नही ! कोई सेवक चाकर नही !

मैं सीढियाँ पार कर महल में पहुँचा था ……………हाँ दो सेविकाएँ मुझे मिलीं भीतर …….जो दीपक जला रही थीं ……….पूजा घर में दीपक जलाया था और एक एक दीपक हर कक्ष में जला रही थीं ।

मैं वहीं खड़ा हो गया…….चारों ओर देख रहा था …….मेरे स्वामी इसी स्थान पर खेले हैं….पले बढ़े हैं……..मेरे लिये तो ये सबसे बड़ा तीर्थ था ……मैं गदगद् होकर चारों ओर देख रहा था ।

उन सेविकाओं नें मुझे देखा ………..फिर मेरे पास आईँ …….दीपक के प्रकाश में मुझे देखनें लगीं तो चौंकीं …….चौंकी इसलिये थीं कि …….मैं इनके कन्हैया जैसा लग रहा था ……..रंग से भी और भेष भूषा से भी ।

वो कुछ कहतीं उससे पहले मैने ही उनसे पूछा लिया……मैया यशोदा ?

भाव हीन मुख से उन सेविकाओं नें मुझे संकेत किया ……….उधर –

मैं उस ओर ही मुड़ गया था ……………


एक कक्ष था …………..उसी कक्ष की ओर मुझे नन्दभवन की सेविकाओं नें बताया था कि मैया यशोदा उधर हैं ।

वो कक्ष ……….सुगन्धित दीप जला हुआ है ………..इन्हीं सेविकाओं नें ही जलाया था………वो ममता कि मूर्ति वात्सल्य कि सिन्धु …..एक पालनें के पास बैठीं हैं……..मैं अच्छे से देख नही पाया …..तो पास में गया…….वो कुछ गुनगुना रही थीं ……उफ़ ! उनके गुनगुनाहट में ……वो गुनगुना नही वो अपनें लाला के वियोग में कराह रही थीं ………पर नही ……….वो इस जगत में थीं हीं नहीं ।

सोजा मेरे लाल ! सोजा मेरे लाल ! सोजा मेरे लाल ! सोजा मेरे लाल !

वो पालनें को झुला रही थीं ………और यहीं गुनगुना रही थीं ।

ये क्या था ! मेरा हृदय चीख उठा …………….

मुझे कुछ समय लगा अपनें आपको सम्भालनें में ।

माता ! मैं देव गुरु बृहस्पति का शिष्य उद्धव मथुरा से आया हूँ ।

चुप !

उनका वो गुनगुनाना बन्द हो गया था ………उन्होंने अपनी तर्जनी अधरों में रखते हुये मुझे कहा था ।

चुप !

मेरी हिम्मत होती कि मैया कहे चुप …..और मैं चुप न होऊं ! ब्रह्म को इन्होंने कितनी बार चुप कराया होगा ………..फिर मैं क्या हूँ ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements