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September 14, 2025 1:42 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! उफ़ ! नींद भी गई – “उद्धव प्रसंग 15” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! उफ़ ! नींद भी गई – “उद्धव प्रसंग 15” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! उफ़ ! नींद भी गई – “उद्धव प्रसंग 15” !!
भाग 2

मैं भी यमुना जल भरनें आयी थी, जल भर लिया और लेकर जब चल रही थी तभी मेरे पांव में एक काँटा गढ़ गया……ओह ! मैने निकालना चाहा पर नही निकला……..मैं तो बैठ गयी और रोनें लगी …..तभी श्याम सुन्दर आगये और उन्होंने मेरे पैर का काँटा निकाल दिया …..मैने भी उनसे पूछा था ……..तुम तो मथुरा गए थे फिर कैसे यहाँ आगये ! सखियों ! मेरी ठोढ़ी में हाथ रखकर बड़े प्रेम से सजल नेत्र करके मुझ से बोले ……मथुरा में तू नही है ना सखी ! जहाँ तू है वहीं मैं हूँ । ये कहते हुये ये गोपी भी रोनें लगी …..विलाप करनें लगी ।

मैं ये सब देख रहा था इन गोपियों की व्यथा सुन रहा था ……

हे स्वामिनी जु ! आपनें कोई सपना नही देखा ?

ये श्रीराधा ही थीं मेरा अनुमान ठीक निकला …………अहो ! उनके मुखारविन्द से वो तेज प्रकट हो रहा था ……..जिसे देखनें का सामर्थ्य मुझ में भी नही था…..वो मध्य में बैठीं नीचे दृष्टि किये हुये ………

ओह ! यहीं हैं मेरे श्रीकृष्ण की प्रिया …….अल्हादिनी ! जिनका नाम लेते हुये मेरे स्वामी मूर्छित हो जाते थे …………मैने वहीं से उन्हें प्रणाम किया …….अब वो बोल रही थीं …..मैं सुननें का प्रयास कर रहा था ।

सखियों ! तुम भाग्यशालिनी हो ………..जो सपनें में तो अपनें प्रियतम के दर्शन लाभ को पा लेती हो ……पर मैं तो वो महाभाव रूपा श्रीराधा किंचित् रुकीं ……….मैं उनकी अमृतवाणी को सुन रहा था …….और उनके एक एक शब्द मुझे प्रेम जगत में बरबस खींच कर ले जा रहे थे ।

सखियों ! सपनें में भी प्रियतम को देख लेना ये कम सौभाग्य नही है …..पर …….ये राधा अभागी है ………..उनकी हिलकियाँ शुरू हो गयी थीं …….इस राधा की तो नींद ही श्याम सुन्दर चुरा कर ले गए ……….नींद ही नही आती मुझे तो …………जब से गए नींद भी ले गए ……नींद आएगी तब न सपना देखूंगी ……….और सपना देखूंगी तब न तुम लोगों को सुनाऊँगी ………यहाँ तो नींद ही नही है ।

श्रीराधारानी के पसीनें और अश्रु दोनों एक साथ निकल रहे थे ……..

पसीनें से कमल की सुगन्ध आरही थी…….जिसके कारण एक भौंरा गुन् गुन् करता हुआ आनें लगा…….वो भौरां बराबर आता और चला जाता ………हट् ! हट् ! हट् ! हटा रही हैं उस भ्रमर को ……पर वो ढीट भ्रमर हट ही नही रहा……….उद्धव विदुर जी से बोले ।

शेष चरित्र कल –

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