Explore

Search

July 20, 2025 5:03 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मगध नरेश का आक्रमण – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 2” !!-भाग 2: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मगध नरेश का आक्रमण – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 2” !!-भाग 2: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! मगध नरेश का आक्रमण – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 2” !!

भाग 2

कृष्ण ! ये क्या है ? बाहर क्या हो रहा है ?

गुप्त मन्त्रणा में श्रीकृष्ण थे …….उसी समय बलराम जी वहाँ पहुँच गए और क्रोध में भरकर श्रीकृष्ण से बोले थे ।

शान्त दादा ! शान्त ! सबको बाहर भेज दिया श्रीकृष्ण नें …..और बलभद्र से बोले …..दादा ! जो हो रहा है अच्छा ही है ……….पृथ्वी में दुष्ट राजाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही थी ……ये अच्छा अवसर है ……श्रीकृष्ण सहज थे और शान्त भी ।

तुम कहते हो अच्छा हो रहा है ? अरे ! हमारी जन्म भूमि मथुरा घिर चुकी है ………..और तुम शान्त हो ? बलभद्र नें श्रीकृष्ण से क्रोध में भरकर पूछा ।

दादा ! क्रोध समस्या का समाधान तो नही है ना !

पर अब क्या करें ? हमारे पास इतनें सैनिक भी नही है ………..बाहर हम घिर चुके हैं …..क्या करें ? बलभद्र बोले जा रहे थे ।

दादा ! आप हो और हम हैं ………..मुस्कुराये श्रीकृष्ण …..और एकाएक दाऊ का हाथ पकड़ कर बोले ……दादा ! चलो बाहर ।

बाहर जैसे ही आये ……..एक सुवर्ण का रथ खड़ा था …….चलो दादा ! इसी में…… दोनों रथ में बैठे …………कोई सारथि नही है ? बलभद्र नें पूछा ……मैं हूँ ना श्रीकृष्ण बोले और स्वयं सारथि बन रथ को हाँक दिया ।

रथ के अश्व दौड़ पड़े थे …..धीरे धीरे वायु के समान दौड़नें लगे थे ………पीछे मुड़कर देखा श्रीकृष्ण नें ………..और तेज वाणी में बोले ……दादा ! अब आपको हल मूशल का प्रयोग करना है ………सब राक्षस मरनें चाहियें …………..मैं रथ चला रहा हूँ …………

श्रीकृष्ण भगा रहे हैं रथ को …….और तेज तेज और तेज ।

जरासन्ध के जो सैनिक थे…जो लाखों की संख्या में थे …उन्हीं के मध्य ले गए श्रीकृष्ण रथ को …..और जोर से बोले…..मारो इन्हें दादा !
मारो ! बलभद्र नें हल लिया और एक ही बार में सहस्रों का वध कर दिया …मूषल का प्रयोग कर सहस्रों को दूसरी बार में वध कर दिया ।

क्रोध में भर गए थे संकर्षण ………इनके क्रोध से कौन बचा है …….ये प्रलयंकर हैं …………आग उगलनें लगे ये ……….

श्रीकृष्ण रथ को घुमा रहे हैं……और बोलते भी जा रहे हैं ….दादा ! इधर …दादा ! उधर……..वो सैनिकों का झुण्ड है …..उस तरफ मारिये …..और बलभद्र नें देखते ही देखते लाखों सैनिकों को मार गिराया था ।

पर ये क्या ! अब तो पकड़ लिया था जरासन्ध को बलराम जी नें ।

और उसे मारनें के लिये तैयार ही थे कि ……..

दादा ! इसे छोड़ दो …………श्रीकृष्ण नें बलराम जी से कहा ।

पर क्यों ? बलराम क्रोध में हैं ।

क्यों की इसके कारण हमारा परिश्रम कम होगा …………

मतलब ?

दादा ! रामावतार स्मरण में है ? कितनें भटके …….वन वन में ….राक्षसों को खोज कर मारनें के लिये ……पर अब नही …..ये जरासन्ध दुष्ट राजाओं को लेकर आएगा ….और उन्हें हम मारते रहेगें ।

बलराम जी नें जरासन्ध को छोड़ दिया ………

श्रीकृष्ण बोले ……..मगध नरेश ! थोडा अब माखन खाकर आओ ……तुममें तो शक्ति ही नही है …………जाओ ! हम तुम्हे छोड़ते हैं ………….अब फिर आओ तो थोडी शक्ति बढ़ाकर आना !

हंसते हुये श्रीकृष्ण नें जरासन्ध को छोड़ दिया था …..बलराम और श्रीकृष्ण रथ में ही बैठकर वापस महल में आगये थे ।

श्रीकृष्ण चन्द्र जु की ……जय जय जय ….

श्रीबलभद्र जु की ….जय जय जय …..

मथुरावासी आज आनन्दित हैं …….क्यों की आज इनकी रक्षा हुयी थी श्रीकृष्ण और बलराम के द्वारा ।

पर तात ! ये जरासन्ध ऐसे नही माननें वाला था ।

उद्धव विदुर जी को बोले ।

शेष चरित्र कल-

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements