श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! रणछोड़राय – “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 9” !!
भाग 1
क्या ! कालयवन जल कर भस्म हो गया ?
सभा में बैठे मगधनरेश जरासन्ध स्तब्ध थे …….वो समझ नही पा रहे थे कि कालयवन को कृष्ण भस्म कैसे कर सकते हैं ……उसे तो वर प्राप्त था……कि कोई यदुवंशी मार नही सकता ।
महाराज ! वो भस्म हुये हैं ……….और किसके द्वारा हुये हैं ये हमें पता नही चल सका ………दूत बता रहा था जरासन्ध को ।
सभा चुप थी …..जरासन्ध के कुछ समझ में नही आरहा था कि अब क्या किया जाए ! वो चारों ओर देखता फिर कुछ सोच में पड़ जाता ………..महाराज ! आक्रमण किया जाए………शिशुपाल फिर उकसानें लगा ।
जरासन्ध मूर्ख नही था …….वो समझदार था ………कोई काम उसनें जोश में आकर आज तक किया नही था……इसलिये फिर आक्रमण की बात पर वो चुप ही रहा ।
“महाराज ! इस बार हमारी बात मानी जाये”……..राजपुरोहित थे जरासन्ध के………अच्छे विद्वान् थे ……..ज्योतिष, कर्मकाण्ड, अन्य गणित की समस्त विद्याएँ ये जानते थे …………..ज्योतिष के सम्बन्ध में तो अपनें राजपुरोहित को जरासन्ध नें कई बार जांचा है ……….शास्त्रों को मानता था जरासन्ध ।
अपनें पुरोहित की ओर देखता हुआ वो हंसा था उस सभा में ।
आप क्या कहना चाहते हैं ? जरासन्ध नें उन अपनें वृद्ध पुरोहित से
पूछा था ।
आप एक सहस्र ब्राह्मणों को भगवती के अनुष्ठान में बैठाइये……..मैं जो मन्त्र दूँगा उसी मन्त्र का वो लोग जाप करेंगे और यज्ञ में आहुति देंगे ।
शिशुपाल हंसनें लगा तो जरासन्ध नें उसे रोक दिया……….और ब्राह्मण को ही बोलनें के लिये कहा ।
वो राजपुरोहित बोलते गए ……..अनुष्ठान , फिर आप जब सेना लेकर यहाँ से चलें उस समय का मुहूर्त……..शुभ मुहूर्त में आप आक्रमण करें ……….वो मुहूर्त हम बताएंगे आपको …..राजपुरोहित गम्भीरता से बोल रहे थे और जरासन्ध भी उन्हें गम्भीरता से ले रहा था ।
किन्तु अगर मैं इस बार पराजित हुआ तो ? जरासन्ध नें पूछा ।
राजपुरोहित बोले……शास्त्र मिथ्या नही होते महाराज !…….ज्योतिष का विज्ञान वैदिक काल से चला आरहा है ……..इसलिये……….
अगर मैं पराजित हुआ तो आप समस्त ब्राह्मणों का मैं वध कर दूँगा !
राजपुरोहित की बात बिना सुनें जरासन्ध नें अपना निर्णय सुना दिया ….किन्तु …..ये क्या बोल गया था ……ओह ! बेचारे राजपुरोहित काँप गए थे ………….वो कुछ और बोलते उससे पहले ही जरासन्ध उठ गया सभा से और अपनें मन्त्री को बोलते उठा ……..हमारे राजपुरोहित जितना धन चाहते हैं अनुष्ठान के लिये इनके लिये भण्डार खोल दिया जाए ………..आप मुहूर्त देखकर अनुष्ठान प्रारम्भ कर दें ………एक सहस्र ब्राह्मण क्यों दस सहस्र ब्राह्मणों को बिठाओ अनुष्ठान में ………और हाँ आक्रमण के लिये मुहूर्त भी बता देना ताकि हमारी सेना फिर से तैयार हो जाए ………इतना कहकर जरासन्ध चला गया उस सभा से ।
हाँ तो पुरोहित जी ! जितना धनादि चाहिये बता दीजिये …….मन्त्री नें कहा……..बेचारे वृद्ध राजपुरोहित अभी भी काँप रहे थे……..उन्हें लग रहा था कहीं मेरे कारण सहस्रों ब्राह्मणों का वध तो नही होगा ?
नेत्रों से अश्रु गिरनें लगे थे ……..हे नारायण ! आप ही हमारी रक्षा करें !
वो राजपुरोहित रो उठे ।
बात कही है तो माननी पड़ेगी ही …………..दस सहस्र ब्राह्मणों को अनुष्ठान में बुलाया ………और जरासन्ध नें ही मुहूर्त देखकर कलावा बांध दिया था ।
आक्रमण !
सेना को मुहूर्त बता दिया था.......उसी मुहूर्त में मगध सेना नें मथुरा में चढ़ाई कर दी थी ।
ये अठारहवी बार आक्रमण था मगध सेना का मथुरा पर…….उन्हें सब पता था ………इसलिये कुछ ही दिनों में मगध से चलकर मथुरा को घेर लिया था सेना नें ।
क्रमशः …
शेष चरित्र कल –


Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877