Explore

Search

December 4, 2024 8:39 am

लेटेस्ट न्यूज़

दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! जब द्रोपदी हंसी – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 52 !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! जब द्रोपदी हंसी – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 52 !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! जब द्रोपदी हंसी – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 52 !!

भाग 2

तो आजाते ना मैदान में और करते ना दो दो हाथ मेरे मित्र शिशुपाल के साथ ।

दुर्योधन ! ज़्यादा मत बोल, नही तो…..भीम उठकर खड़ा हो गया था ।

युधिष्ठिर चिंतित हो उठे थे , कहीं यहीं युद्ध न छिड़ जाए ।

भाई दुर्योधन ! तुम मेरे पास आओ , मैं तुम्हें समझाता हूँ , महाराज युधिष्ठिर ने दुर्योधन को अपने पास बुलाया ।

दुर्योधन आगे जैसे ही जाने लगा , उसने अपना अधोवस्त्र उठाया , मय की मायावी कला जो जल में थल दिखा रही थी और थल में जल ।

वो सावधानी से आगे बढ़ा उसे लगा सामने जल है , पर जल नही था वहाँ , दुर्योधन इधर उधर देखकर शर्मिंदा हो उठा ।

पीछे से होकर जाऊँ ऐसा विचार करके दुर्योधन जैसे ही आगे बढ़ा, दीवार से टकरा गया , लगी उसके सिर में चोट , इधर उधर देखकर दुर्योधन ने फिर शर्मिंदगी अनुभव करी थी ।

अपनी हंसी को रोकते हुए श्रीकृष्ण ही बोले – सीधे आओ ना धृतराष्ट्रपुत्र !

वो रुका , उसने ध्यान से देखा सामने जल है या थल है , क्यों कि वो ये बात समझ रहा था कि ये सब मय की मायावी कला है इन्द्रप्रस्थ में ।

रंगों की रंगोली बनी हुई है , तो थल ही होगा , जल में रंगोली कहाँ ।

मन ही मन सोचते हुए दुर्योधन जैसे ही आगे बढ़ा , गिरा जल में , पूरा भींग गया , सभा स्तब्ध हो गयी थी ,

पर उसी समय एक हंसी गूंजी – द्रोपदी की ।

दुर्योधन भीगा हुआ है , सभा में इसके कपड़े सब भीग गए हैं , ये स्थिति देखकर द्रोपदी हंसी ।

श्रीकृष्ण हंसते , या पाण्डव भी हंसते तो दुर्योधन इतनी गम्भीरता से नही लेता किन्तु , द्रोपदी का हंसना ! ये मोहित था द्रोपदी पर , और द्रोपदी थी भी ऐसी की कोई भी मोहित हो जाए ।

राजसूय यज्ञ में स्नान करते हुए द्रोपदी को इसने देखा था , वो श्यामा द्रोपदी , ये पागल हो उठा था द्रोपदी से एकान्तिक वार्ता करने के लिए । जब श्रीकृष्ण होते हैं तब पाण्डवों से तो बात करती नही है ये द्रोपदी उसको तो बस कृष्ण ही कृष्ण सूझता है, फिर दुर्योधन से बात करती ?

दुर्योधन ने बड़ी कोशिशें की राजसूय यज्ञ में की द्रोपदी एक बार तो मुझ से बात करे किन्तु !

आज भीगा हुआ है दुर्योधन , सिर से पाँव तक भींगा है । और इस स्थिति पर हंस रही थी द्रोपदी , खिलखिला कर हंस रही थी । इतना भी होता तो कोई बात नही थी स्त्री स्वभाव हंसी आगयी ,

पर

  • “अन्धे का पुत्र अन्धा ही होता है” दुर्योधन क्रोध से काँप उठा था द्रोपदी के मुख से ये सुनते ही ।

वो एक बार नही , तीन बार बोली थी और हंसते हुए और उसी की ओर इंगित करते हुये बोली थी – अन्धे का पुत्र अन्धा ही होता है ।

तात ! महाभारत की नींव यहीं से डली है , उद्धव विदुर जी को बोले थे ।

शेष चरित्र कल

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग