!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 37 !!
कृष्ण नें जब कामदेव को हराया….
भाग 2
ये कहते हुये ……..अपनें अधर उस गोपी के अधर पर रख दिया था ।
कामदेव काँप उठा ।
मंगल कलश की तरह ये वक्ष ………छू दिया श्याम सुन्दर नें ।
कामदेव चीख उठा ।
दन्त से काट दिया ………..कान में कुछ प्यार भरी बतियाँ कह दीं ।
आलिंगन …..एक प्रगाढ़ आलिंगन में बांध दिया गोपियों को कृष्ण नें ।
छटपटा उठा कामदेव ।
वक्ष में….पृष्ठ में…..नाभि में…..नख के अग्र भाग से क्षत कर दिया ।
वो सुंदरियाँ ……..वो बृजगोपिकाएँ ……वो प्रेमिन …….वो प्रेमजोगन…
अब पूर्ण कृष्ण की हो गयीं ………कृष्ण के बाहु पाश में बद्ध हो गयीं………कृष्ण की सुगन्धित साँसों से उनकी साँसें महक उठी ………
उनकी करधनी ….ढीली पड़ गयी ……..उनके हार टूट गए ….उनके केश बिखर गए ………….उनकी बेणी खुल गयी ……….कृष्ण के ऊपर गिरी वो गोपियाँ ।
पर ये क्या ? कामदेव अपनी पूरी ताकत से लड़ रहा है ………….
पूरी शक्ति लगा दी है इस कामदेव नें…….पर उसकी शक्ति व्यर्थ जा रही हैं ……ये हो क्या रहा है …..कामदेव अब थकनें लगा था धीरे धीरे ।
पर श्याम सुन्दर नही थके ……ये अभी भी उसी अनन्त प्रेम की ऊर्जा के साथ विहार कर रहे हैं…….बड़ी तीव्र गति से नाच रहे हैं …….एक ताल में नाच रहे हैं ….एक स्वर में नाच रहे हैं………मध्य में वही श्याम ज्योति ….और चारों और गौरांगी गोपियाँ ….नाच रही हैं ।
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –
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