!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 72 !!
नन्द यशोदा को उद्धव का ज्ञानोपदेश
भाग 3
उद्धव ! तुम कहते हो तो बात ठीक ही होगी ………..क्यों की बृहस्पति के शिष्य हो तुम ……….ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ हो …………बुद्धिमान हो ।
“हम तो गंवार हैं”
…..नन्दराय के मन में दीन भाव का उदय हो गया था …..
युगल नयनों से अश्रु धार बह चले थे ।
हम तो ग्वाले हैं ……गाय चराना पशुपालन यही हमारा काम है ……..ये ज्ञान हम नही जानते ……..पर एक बात तुझ से पूछनी है उद्धव ! बताएगा ? नन्दराय नें उद्धव से पूछा ।
हाँ …….पूछिये ना ब्रजपति ! उद्धव नें कहा ।
क्या तुम ये कहोगे कि हम कृष्ण को भूल जाएँ ?
नन्दराय का प्रश्न उद्धव के प्रति ।
हाँ ….हाँ ……मैं यही कहूँगा कि आप कृष्ण को भूल जाएँ ……….
उद्धव नें नन्दराय को समझाते हुये कहा था ।
फिर तुमनें ये क्यों कहा कि कृष्ण ब्रह्म है ….कृष्ण भगवान है !
उद्धव नें इसका उत्तर दिया – हाँ …..क्यों की वो भगवान हैं ! वो ब्रह्म हैं इसलिये मैने कहा ………..।
तो उद्धव ! किस शास्त्र में लिखा है कि भगवान को भूल जाना चाहिये ।
नन्दराय नें ये क्या कह दिया था ………उद्धव चकित हो गए ।
नन्दराय शान्त भाव से नयनों से अश्रु मोचन करते हुए बोल रहे थे ।
उद्धव ! वत्स ! तुम मेरे पुत्र के सखा हो ……………एक दुविधा तुमनें हमारी मिटा दी आज……….पता है उद्धव ! पहले मैं सोचा करता था कि देखो ! वृद्धावस्था आचुकी है ……….पुत्र के मोह में हम मरे जा रहे हैं ……….ये तो अच्छी बात नही है ………..क्यों की हमनें सुना है , शास्त्र कहते हैं उद्धव ! कि वृद्धावस्था में मोह ममता को त्याग कर भगवान की भक्ति करनी चाहिये …………मेरे मन में ये बात आती रहती थी …….पर तुमनें आज ये क्या कह दिया …….ओह !
तुमनें कह दिया कि कृष्ण भगवान है …कृष्ण ब्रह्म है ………….
अब तो हम निश्चिन्त होगये उद्धव ! कि हमारा जीवन सही दिशा में जा रहा है ……………..पर जब कृष्ण भगवान है तुम्ही कह रहे हो …..तो हमारी ये बात समझ में नही आती कि …..भगवान को भूलनें की बात तो कोई शास्त्र करते नही हैं …………….बल्कि भगवान को भूलना पाप है ………..अपराध है ……यही हम सुनते आये हैं ………..
फिर क्यों हमें भूलनें को कह रहे हो ?
उद्धव ! हम पढ़े लिखे नही हैं …………..पर जितना समझते हैं ….उसी आधार पर बोल रहे हैं ……….क्या अब भी तुम कहोगे कि कृष्ण को हम भूल जाएँ ?
हे वज्रनाभ ! उद्धव इस बात का क्या उत्तर देते ?
वो कुछ भी बोल न सके …………उनको निरुत्तर कर दिया था इन वात्सल्य के मारे लोगों नें ……उफ़ !
शेष चरित्र कल …
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