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December 4, 2024 8:47 am

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दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! कामदेव जब हारा – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! कामदेव जब हारा – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! कामदेव जब हारा – “रासपञ्चाध्यायी” !!

भाग 2

उस गौर वदन गोपियों का श्रीकृष्ण स्पर्श करनें लगे थे …………नृत्य शुरू हो गया था वृन्दावन में ………..हजारों गोपियाँ और उनके साथ हजारों रूपों में रूपायित होते श्रीकृष्ण ।

अपनें बाहों में भर रहे थे अपनी प्यारी गोपियों को श्याम सुन्दर …….

वो नृत्य करते हुए चूम रहे थे गोपियों को ……….कामदेव हँस उठा …….अब मैं पराजित करूँगा इसे……मैं इसके मन में काम उद्दीपन भरूंगा । पर कामदेव अभी भी समझ नही रहा कि ये तो “मदन गोपाल” हैं ………..’मदन” इनका क्या बिगाड़ेगा !

आलिंगन करते हैं ………गोपियों के अलकें संवारते हैं …….उरु का स्पर्श करते हैं …….वक्ष से वक्ष लगाते हैं …….और ये सब बड़ी तेजी से कर रहे हैं घूम घूम कर रहे हैं …………अधरों से अधर मिल रहे हैं ……नख से आघात कर रहे हैं गोपी के अंग को ……..वो गोपी आनन्द में डूब रही है …………और वो भी अपनें बाहों को फैला देती है ……..श्याम सुन्दर उसके बाहु पाश से बंध जाते हैं ………..वो गोपी नयनों को मूंद कर हँसती है …….खिलखिलाती है ………उसको रोमांच हो रहा है ।

कामदेव नें अपनें सारे बाण चला दिए ….पर उसके समझ में नही आरहा कि श्रीकृष्ण पर मेरे बाणों का असर क्यों नही हो रहा ……वो अपनी शान्त स्थिति में ही हैं …….उनका मन तनिक भी विचलित नही हो रहा ………न उनके मन में कोई वासना का ही उदय हो रहा है …….वो एक महायोगी की भाँती शान्त हैं …..परम शान्त ।

नाथ ! नाथ !

चिल्ला उठा कामदेव ………….

श्याम सुन्दर नें मुड़कर देखा …………कामदेव मूर्छित हो गया था …….वो स्वयं इस रास लीला से विचलित हो उठा था ……..पर जो रास के नायक हैं …………वे शान्त थे ……..योगियों की तरह …….पर ये योगी कहाँ ! ये तो योगेश्वर भी नही हैं …….तात ! ये तो “योगेश्वरेश्वर” हैं …..योगियों के ईश्वर के भी ईश्वर हैं ……….फिर काम का इन पर क्या प्रभाव ? अपितु कामदेव पर इनका प्रभाव चल गया था ……….वो मूर्छित हो उठा था ….रति का पति – हां श्याम ! हा श्रीकृष्ण ! कह उठा था ………..।

क्या हुआ मदन ? नन्दनन्दन बोले ।

मैं पराजित हो गया…..अब बस एक ही कामना है आप पूर्ण करें नाथ !

कामना है अब भी है मदन ! मधुर वाणी गूँजी श्यामसुन्दर की ।

आप मुझे पुत्र स्वीकार करें !

………..मदन नें चरणों में नतमस्तक होते हुए कहा ।

पर इसके लिये तप करना होगा ………..मेरे गिरिराज गोवर्धन में बैठकर मेरी श्रीराधारानी की उपासना करो …….तुम मेरे ही पुत्र बनोगे ।

कामदेव आनन्दित होते हुये चला था गोवर्धन की ओर ।

क्रमश*

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