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December 4, 2024 6:54 pm

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दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! राधे ! तेनें कौन तपस्या कीन – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! राधे ! तेनें कौन तपस्या कीन – “रासपञ्चाध्यायी” !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! राधे ! तेनें कौन तपस्या कीन – “रासपञ्चाध्यायी” !!

भाग 1

ललिता सखी युगल चरण चिन्हों को देखते हुये चल रही थीं ……उनके पीछे समस्त सखियाँ ।

पर यहाँ से मात्र श्यामसुन्दर के ही चरण चिन्ह दृष्टिगोचर हो रहे हैं …..श्रीराधारानी के चरण चिन्ह नही हैं ………वो कहाँ गयीं ?

ललिता सखी सोच में पड़ जाती हैं ……………

तभी चन्द्रावली हँसती है……………ललिते ! ध्यान से देख …….श्यामसुन्दर के चरण अवनि में धँसे हुये हैं ………….

हाँ , पर इसका मतलब ! ललिता साश्चर्य पूछती है ।

ललिते ! गोद में उठा लिया है यहाँ से श्यामसुन्दर नें अपनी प्रिया को ……………..व्यंग कसती है चन्द्रावली ……………पर कुछ देर बाद वो शान्त हो जाती है ……….उसके हृदय का भाव प्रकट हो जाता है ।

मैं ईर्ष्या नही करती श्रीराधा से …………पर जगत को लगता है चन्द्रावली ईर्ष्या करती है ……………हँसती है चन्द्रावली …….जगत को लगे इसलिये मैं ये सब करती हूँ ………….मैं राधा कैसे हो जाऊँगी ?

राधा , राधा है ……उसका त्याग उसका तप …..चन्द्रावली आज गोपियों के सामनें अपना हृदय खोल रही थी ………….

क्या तप ? क्या त्याग ? ललिता सखी नें अपनी स्वामिनी के बारे में सुनना चाहा ।

श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण , और स्वसुख वान्छा का पूर्ण परित्याग ………हे ललिते ! हम भी प्रेम करती हैं …..पर हमारे मन में स्वसुख कि ही कामना भरी रहती है ………मुझे सुख मिले …..हमें श्याम सुन्दर आकर मिलें …….हमें वे छूएं …….हमें आलिंगन करें ………

चन्द्रावली सखी कहती हैं …………..ये हमारा प्रेम है …….हम अपना सुख देखती हैं ……पर मैनें अपनी बहन राधा को देखा है …….उसके मन में किंचित् भी अपनें सुख कि कामना है ही नही …….बस ……मेरे श्याम खुश रहें …….वे प्रसन्न रहें ……….उन्हें सुख मिले …….मेरा भी सुख , मेरे भाग्य का सुख भी विधाता उन्हें ही दे दे ।

चन्द्रावली ये कहते हुए रो पड़ी …………भाग्यवती तो इस जगत में एक मात्र ‘भानु किशोरी” ही है …………मैं प्रसन्न हूँ कि मेरे प्यारे अकेले नही गए वन में …….अपनी प्रिया किशोरी को लेकर गए हैं ।

आहा ! चन्द्रावली प्रेमोन्माद से भर गयी है ………….

*क्रमशः…

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