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November 21, 2024 10:05 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “भयाद् कंसो” – कंस का भयोन्माद !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “भयाद् कंसो” – कंस का भयोन्माद !!

भाग 2

तभी श्वान के समूह नें रुदन प्रारम्भ कर दिया था ……कंस का सिर, दर्द से फटा जा रहा है……..वो अपनें महल की हर वस्तुओं को तोड़ फोड़ देता है ……विचित्र स्थिति हो गयी है कंस की अब ।

शियार बोल रहे हैं………कंस झरोखे बन्द कर देता है……पर उसे गर्मी लग रही है……वो कुछ देर तक तो गर्मी सह लेता है ……फिर वो बाहर निकल जाता है ……क्यों की उसे अब नींद आनें वाली तो है नही ।

ओस से उसके पैर भींग गए हैं ……वो चलता है कोमल दूब में……..वो घूमता है ….पर इस बार वो टूट गया है …उसे मृत्यु साक्षात् आती हुयी दिखाई देती है…….कंस के पैर ओस से भींगें हैं ……पर उसके पद चिन्ह क्यों नही बन रहे ? वो फिर ओस में चलता है ……..अपनें पैरों को ओस से ही भिंगो लेता है……पर इसके पद चिन्ह नही बन रहे …….वो कीचड़ में कूद जाता है ……..कीचड़ से सना लेता है अपनें पैरों को ……फिर बाहर आकर पैर रखता है…..ओहो ! इसके पद चिन्ह बन ही नही रहे …….कंस को अपनी मृत्यु साक्षात् दिखाई देंने लगी थी ।

वो पागल हो रहा था……….वो पगला गया था………..

महाराज की जय हो ! एक सेवक नें आकर कहा …….

कंस डरकर गिर गया धरती में …….कौन हो तुम ! जाओ यहाँ से ।

सेवक अपनें राजा की ये स्थिति देखकर डर गया…….कीचड़ से सनें पैर उसके……..वो डरा हुआ भयाक्रान्त राजा कंस । सेवक भाग गया ।

अब करे क्या कंस………अरुणोदय होनें को है …….पूरी रात इसकी ऐसे ही बीत गयी थी ………पर अब इसे हिम्मत करना ही था ……..भय का सामना करनें का साहस इसे दिखाना ही था ।


तात ! इधर श्रीकृष्ण चन्द्र और बलभद्र सखाओं के साथ जागे …….अंगड़ाई ली ………..सामनें क्या देखते हैं …….यमुना में कमल खिले हुये हैं सुन्दर सुन्दर ………….चारों ओर से विप्र गण वेद ध्वनि कर रहे हैं ……….सन्ध्या स्नान करके बृजराज बाबा भी आगये हैं ……सुन्दर सुन्दर नारियाँ सज धज कर श्रीकृष्ण के पास से ही गुजर रही हैं ……..वो सब एक बार देखना चाहती हैं इन भुवन सुन्दर को ।

कन्हैया ! बृजराज बाबा नें कहा ……….मुझे कंस के पास जाना पड़ेगा ……क्यों की उसको जो भेंट देनी है वो मैनें अभी तक दी नही है ………..कल वो व्यस्त था इसलिये मैं दे नही पाया ……….हे कृष्ण और बलभद्र ! मेरी एक बात सुनो ……..मै जा रहा हूँ …….तुम लोग भी शीघ्र आजाना रंगशाला में ……..बिलम्ब किया तो प्रवेश नही मिलेगा ।

हमें प्रवेश नही मिलेगा ? मनसुख श्रीकृष्ण की और देखकर हंसा ।

देखो ! ये ठिठोली करनें का समय नही है ………..और आज कोई लड़ाई नही होनी चाहिये …………..समझे ? बृजराज नें गम्भीर होकर कहा ………..तो मनसुख बोला ………हम लड़ाई नही करेंगे पर सामनें वाले ने किया तो ? सब ग्वाल बाल हंसे ।

नन्द बाबा नें बड़े गम्भीरता से समझाया ………और कंस के पास वो चले गए थे ।

शेष चरित्र कल –

Niru Ashra
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Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

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