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November 21, 2024 9:24 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम् -!! रंगशाला में श्रीकृष्ण !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! रंगशाला में श्रीकृष्ण !!

भाग 1

क्या महागज भी मारा गया ? कंस के पसीनें छूटनें लगे ।

ये चिंघाड़ मेरे हाथी कुबलियापिढ़ की ही है ……..और ऐसी चिंघाड़ तो मृत्यु ………कंस की घबराहट बढ़ गयी……….

बृजराज भी डर गए ………अंदर से वो काँप गए थे …..कहीं मेरे बालकों को तो कुछ नही हुआ……..मैं कह ही रहा था कि द्वार पर उस महागज को खड़ा करनें की आवश्यकता क्या थी !

नागरिकों में चर्चा छिड़ गयी वहीं रंगशाला में …….क्या उस महागज नें उन सुकुमार बालकों को मार दिया ……..धिक्कार हो कंस तुझे ! बूढ़े बड़े लोग कंस को गालियां देनें लगे ……………

पर तभी रंगशाला में एक प्रकाशपुंज फ़ैल गया ………..भुवन सुन्दर श्रीकृष्ण हाथी के दांतों को अपनें हाथ में लिये ….पीताम्बर धारी, घुँघराली अलकें सम्भालते हुये ………काँछनी को कसते हुए रंगशाला में प्रवेश करते हैं …….अकेले नही हैं ……उनके साथ बड़े भैया बलभद्र भी चल रहे हैं ……….संग के साथी ग्वाल बाल सब हैं ।

नागरिकों नें जैसे ही देखा ………….सबकुछ भूल गए मथुरा के नागरिक ………”श्रीकृष्ण कन्हैया लाल की जय जय जय”…….कंस के सामनें ही जय घोष प्रारम्भ कर दिया था ……….मन्त्री नें उठकर आँखें दिखाईँ और सबको सावधान करते हुये कहा ……….राजा के सामनें किसी ओर का जय घोष ? नागरिक आखिर नागरिक ही होते हैं …….डर कर शान्त हो गए सब ……।

नन्दबाबा नें अपनें पुत्रों को देखा ……….गदगद् होकर अपनें दोनों हाथों से मंगल कामना दे रहे हैं …………कुछ देर आँखें बन्दकर के भगवान नारायण से प्रार्थना कर रहे हैं ………हे नारायण भगवान ! मेरे बालकों की रक्षा करना ………..।

रंगशाला के मध्य में खड़े हैं श्रीकृष्ण ……………..

मल्लों नें देखा – चाणूर मुष्टिक शल तोषल इन्होनें देखा …….तैल से मर्दन किये जा रहे थे ताल ठोक रहे थे ……….पर जैसे ही इन्होनें देखा सामनें खड़े श्रीकृष्ण को ………तैल मर्दन सब छूट गया ….भय से कांपनें लगे ……….एक दूसरे से कहने लगे ……..इसका देह तो बज्र का लग रहा है ………और इसके देह में फुर्ती कितनी है ………….ये तो हमें पछाड़ पछाड़ के ही मार देगा ……..इन मल्लों की हालत खराब होनें लगी ।

श्रीकृष्ण को जब देखा मथुरा की नारियों नें ………..तब .उनका हृदय प्रेम के लिये मचल उठा ………आह भरनें लगीं सब ……..कितनें सुन्दर हैं ये …….आहा ! अरी , ये अगर हमें मिल जाते तो मैं अपनी छाती से इन्हें चिपकाए रखती ………उफ़ ! देख देख तो क्या मोहनी मूरत है ।

क्रमशः …

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