Explore

Search

November 21, 2024 10:49 pm

लेटेस्ट न्यूज़

बिटिया राधा रानी : Kusuma Giridhar

बिटिया राधा रानी : Kusuma Giridhar

बिटिया राधा रानी

बरसाने में एक सेठ रहते थे, उनकी तीन-चार दुकाने थीं, अच्छी तरह चलती थीं। तीन बेटे, तीन बहुएं थी, सब आज्ञाकारी पर सेठ के मन मे एक इच्छा थी। उनके बेटी नही थी। संतो के दर्शन से चिन्ता कम हुई, संत बोले मन में अभाव हो, उस पर भगवान का भाव स्थापित कर लो.!

सुनो सेठ तुमको मिल्यो बरसाने का वास।
यदि मानो नाते राधे सुता, काहे रहत उदास॥

सेठ जी ने राधा रानी का एक चित्र मंगवाया और अपने कमरे मे लगा कर पुत्री भाव से रहते। रोज सुबह राधे-राधे कहते, भोग लगाते और दुकान से लौटकर राधे-राधे कहकर सोते।

तीन बहु बेटे हैं घर में, सुख सुविधा है पूरी।
संपति भरि भवन रहती, नहीं कोई मजबूरी॥
कृष्ण कृपा से जीवन पथ पे, आती न कोई बाधा।
मैं बहुत बड़भागी पिता हुँ, मेरी बेटी है राधा॥

एक दिन एक मनिहारी चूड़ी पहनाने सेठ के हाते मे दरवाजे के पास आ गयी, चूड़ी पहनने की गुहार लगाई। तीनो बहुऐं बारी-बारी से चूड़ी पहन कर चली गयी। फिर एक हाथ और बढ़ा तो मनिहारीन सोची कि कोई रिश्तेदार आया होगा उसने उसे भी चूड़ी पहनाया और चली गयी।

सेठ के दुकान पर पहुच कर पैसे मांगे और कहा कि इस बार पैसे पहले से ज्यादा चाहिए। सेठजी बोले कि क्या चूड़ी मंहगी हो गयी है.? तो मनिहारीन बोली नहीं सेठजी, आज मैं चार लोगों को चूड़ी पहना कर आ रही हूँ। सेठ जी ने कहा कि तीन बहुओं के अलावा चौथा कौन है, झूठ मत बोल, यह ले तीन का पैसा, मैं घर पर पूछूँगा, तब एक का पैसा और दूँगा। अच्छा कहकर, मनिहारीन तीन का पैसा ले कर चली गयी।

सेठजी ने घर पर पूछा कि चौथा कौन था जो चूड़ी पहना है.? बहुऐं बोली – कि हम तीन के अलावा तो कोई भी नहीं था।

रात को सोने से पहले सुता राधारानी को स्मरण करके सो गये। नींद में राधा जी प्रगट हुईं। सेठजी बोले “बेटी बहुत उदास हो क्या बात है.?”

बृषभानु दुलारी बोली –
“तनया बनायो तात, नात ना निभायो,
चूड़ी पहनि लिनी मैं, जानि पितु गेह,
आप मनिहारीन को मोल ना चुकायो,
तीन बहु याद, किन्तु बेटी नही याद रही,
कहत श्रीराधिका को नीर भरि आयो है,
कैसी भई दूरी कहो, कौन मजबूरी हाय,
आज चार चूड़ी काज मोहि बिसरायो है।

सेठजी की नींद टूट गयी, पर नीर नहीं टूटी। रोते रहे सुबेरा हुआ। स्नान-ध्यान करके मनिहारीन के घर सुबह-सुबह पहुँच गये। मनिहारीन देखकर चकित हुई। सेठ जी आंखो में आंसू लिये बोले –
धन धन भाग तेरो मनिहारीन
तोरे से बड़भागी नहीं कोई,
संत महंत पुजारी,
धन-धन भाग तेरो मनिहारीन।

मनिहारीन बोली- क्या हुआ.?
सेठ आगे बोले –
“मैने मानी सुता (पुत्री), किन्तु निज नैनन नहीं निहारिन,
चूड़ी पहन गयी तव कर ते, श्रीबृषभानु दुलारी,
धन-धन भाग तेरो मनिहारीन,
बेटी की चूड़ी पहिराई लेहु जाहू तौ बलिहारी,
जन जोड़ि कर करियो चूक हमारी,
जुगल नयन जलते भरि मुख ते कहे न बोल,
मनिहारीन के पांय पड़ि लगे चुकावन मोल।”

मनिहारीन सोची –
जब तोहि मिलो अमोल धन,
अब काहे मांगत मोल,
ऐ मन मेरो प्रेम से, श्रीराधे राधे बोल।
श्रीराधे राधे बोल, श्रीराधे राधे बोल॥

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग