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November 21, 2024 11:08 pm

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कार्तिक मास व कृतिका नक्षत्र – श्री परिमल पंड्या : by Kusum Singhania

कार्तिक मास व कृतिका नक्षत्र – श्री परिमल पंड्या : by Kusum Singhania

जय श्री राधे राधे जी ।
🙏🌹🙏🌹🙏❤️
कार्तिक माह लगने वाला है।
समझें ,क्या है
कार्तिक मास व कृतिका नक्षत्र ।

श्री परिमल पंड्या।

कार्तिकेय की ६ माता-
यह लाक्षणिक कथा लगती है। कृत्तिका नक्षत्र में ६ तारा हैं। सातवाँ थोड़ा धूमिल है। आश्विन पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा कहते हैं। इस कारण आश्विन मास को कुमार या कुवार मास भी कहता हैं। यह या तो अश्विनी कुमार के नाम पर है या कुमार कार्तिकेय का जन्म समय है।

अश्विनी कुमार देव वैद्य थे। नाक के दोनों छेदों के श्वास ही अश्विन या नासिक्य हैं जिनके नियन्त्रण से शरीर स्वस्थ रहता है।प्रणायाम स्वस्थ रखता है।
क्या इस अर्थ में यह देव वैद्य हैं या मनुष्य रूप में दोनों जुड़वां भाई देव युग के चिकित्सक थे? दोनों ठीक हो सकते हैं। यह मास वैद्य मास है। लोकोक्ति है कि इस मास में अच्छी आमदनी होगी इस आशा में वैद्य लोग ऋण लेते हैं।

कृत्तिका के ६ तारा का नाम तैत्तिरीय संहिता (४/४/५/५-१) तथा तैत्तिरीय ब्राह्मण (३/१/४/१) में दिया है। उनके नाम हैं-दुला, अभ्रयन्ती, वर्षयन्ती, मेघयन्ती, चुपुणीका, नितत्नि। सातवीं भी है-अम्बा, कम प्रकाश की। यह बाकी ६ का माता रूप में निर्देश है।

अब सबसे महत्वपूर्ण बात।
नामों के प्रचलन स्थान से लगता है कि ये भारत के ६ सैनिक क्षेत्र कार्तिकेय के समय थे।
कटक भुवनेश्वर के निकट दुला देवी के बहुत से मन्दिर है। क्रौञ्च द्वीप पर विजय के बाद कार्तिकेय ने कोणार्क में विजय स्तम्भ स्थापित किया था तथा रथयात्रा आरम्भ की थी (स्कन्द पुराण)। बंगाल में दुलाल नाम बहुत प्रचलित है जिसका अर्थ है दुला पुत्र -दुला द्वारा लालन हुआ या दूध पिलाया गया। ओडिशा, बंगाल दुला का क्षेत्र था।

सबसे अधिक वर्षा असम में होती है जो वर्षयन्ती का क्षेत्र होना चाहिए।
गुजरात, राजस्थान में वर्षा कम होती है पर मेघानी और मेघवाल बहुत हैं। वह मेघयन्ती का क्षेत्र है।

पंजाब में चोपड़ा हैं-वह चुपुणीका क्षेत्र हुआ। पश्चिम सीमा पर असुर आक्रमण रोकने के लिए वहाँ निश्चित रूप से क्षेत्र होगा। वहाँ इन्द्र ने पाक दैत्यों का दमन कर शक्ति दिखाई जिससे ब्रह्मा ने उनको पाकशासन कहा था। जहाँ शक्ति दिखाई वह स्थान शक्र है (सक्खर जिला, हक्कर नदी,इसी के अपभ्रंश या देशज रूप हैं)।

अभ्रयन्ती समुद्र तट के आन्ध्र तथा महाराष्ट्र के भाग हैं।
सबसे दक्षिण भाग नितत्नि हैं-तमिलनाडु, कर्णाटक। यह भूमि में या नीचे की तरफ बढ़ने वाली लता है। अतः यह नकशा में नीचे के भाग में होगा। अथर्ववेद (६/१८/१३७) में इसे केश बढ़ाने वाली औषधि कहा गया है। इसके पूर्व मन्त्र में इसे नीचे फैलने वाली लता कहा है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय ने ब्राह्मी लिपि का लघु रूप (shorthand) तमिल बनाया तथा उसकी रचना अनुसार संस्कृत के २००० मूल धातुओं में ५० का अर्थ बदल दिया जिसके कारण तमिल के कुछ शब्द (२.५%) संस्कृत से अलग हैं।

अरुण उपाध्याय।
श्याम सुन्दर भट्ट।

जय श्री कृष्ण जी।
🙏🌹🙏🌹🙏🇮🇳

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