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October 27, 2025 10:00 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 63 !!-पतंग तो जलता है, सखी ! दीपक भी तो जलता है भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 63 !!-पतंग तो जलता है, सखी ! दीपक भी तो जलता है भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 63 !!

पतंग तो जलता है, सखी ! दीपक भी तो जलता है
भाग 3

हे कालिन्दी ! मेरा एक सन्देश कहोगी मेरे प्रियतम से !

कहना ! तेरी राधा रोज मेरे तट में आती है ……बैठी रहती है…….मेरे नीले रँग को देखकर तुझे याद करती है ………तुमनें जिस गागर को छूआ था ……उसी गागर को लेकर आती है ।…….पर कालिन्दी ! मैं तुम्हे कितना “नयन जल” दे जाती हूँ – ये मत कहना ।

और हाँ यमुनें ! कहना उनसे – तेरी राधा साँझ सवेरे नन्दगाँव भी जाती है……बाबा और मैया से भी मिल आती है…….गैया मानती नही है अपना दूध तुझ से दुहाना चाहती है ……तब मैं ही जाकर तेरे घर की गैया दुह आती हूँ……दुह तो आती हूँ……पर दूध कितना धरती पर गिरता है कितना पात्र पर गिरता है ……..हे कालिन्दी ! ये मत कहना ।

और हाँ कालिन्दी ! कहना उनसे -मैं ही दीपकर जला आती हूँ तेरे घर में….मैया यशोदा को कुछ भान नही है…साँझ कब हुयी सुबह कब हुयी ।

जब रोते हुए मुझ से पूछती हैं …….लाली ! कब आएगा मेरा गोपाल ?

तब मैं कृत्रिम हँसी हँसते हुए …………”बस दो चार दिन में”

झूठ बोल आती हूँ ……..क्या करूँ तू ही बता !

पर कब तक झूठ बोलती रहूँ मैं ?

आस भी अब निराशा में बदल रही है ………….कहना उनसे ।

पर कालिन्दी ! सब कहना, पर हृदय की पीर न कहना ।

तभी श्रीराधारानी को आवेश आगया……..किनारे में अनन्त कमल खिले हुए थे ……उन कमलों को तोड़नें लगीं….तोड़कर एक माला बनाई …….एक सखी से दोना मंगवाया……उस दोना में माला को रखकर अपनें प्रियतम के लिए बहा दिया ।


उद्धव ! कालिन्दी के साथ मेरा बड़ा गहरा सम्बन्ध है …………

मैं इसमें खूब खेला कूदा हूँ …………..पता है उद्धव ! मेरी राधा !

“राधा” कहकर कुछ बोलनें ही जा रहे थे कृष्ण …….कि उन्हें सब सन्देश श्रीराधा का स्पष्ट सुनाई देनें लगा…….आँसुओं की धार लग गयी कृष्ण के ……..रोम रोम से राधा राधा राधा शब्द गूंजनें लगा ।

देह भान भूल गए कृष्ण ……………………

उतरनें लगे यमुना में………..और उतरते उतरते जब मध्य में जाकर डुबकी लगाई कृष्ण नें ………..

उधर से वो दोना बहता हुआ आया जिसे श्रीराधा नें बहाया था ।

डुबकी लगाकर जैसे ही बाहर सिर निकाला……श्रीराधा का भेजा दोना सिर में आगया था……..निकले जब जल से …..तब वह दोना उलटा होगया ……और कमल की माला सीधे कृष्ण के कण्ठ में ।

बस इसके बाद तो कृष्ण वहीं यमुना जल में ही गिर गए थे ……..उद्धव ही गए और कृष्ण को उठाकर लाये ……मूर्छित हो गए थे कृष्ण ।

पर उस मूर्च्छावस्था में भी उद्धव नें देखा …….रोम रोम से “राधा राधा राधा” यही नाम निकल रहा था उनके ।

शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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