!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 97 !!
*वेदनापूर्ण वृन्दावन वार्ता *
भाग 2
देखिए भगवन् ! आप मथुरा में नही भी रहोगे , तो यहाँ के लोगों को कोई फ़र्क नही पड़ता……और जिन्हें फ़र्क पड़े ……वो आजाये वृन्दावन ……रहे वहाँ ……..नन्द बाबा बहुत उदार हैं ……….मथुरा वासियों को आजीवन भरपेट भोजन, वसन, नित्य देंनें की हिम्मत रखते हैं नन्द बाबा ………उनको आवास भी देंगें ……वसुदेव और देवकी माता ……ये भी वहीं चलें ।
नही उद्धव ! नही ! कृष्ण नें अपना हाथ छुड़ाया और गवाक्ष में जाकर खड़े हो गए ……………….
पर क्यों नही ? मथुरा में आपको ऐसा क्या लगता है ? यहाँ एक भी व्यक्ति ऐसा नही है जो वृन्दावन के लोगों की तरह आपको चाहता हो ………वहाँ सब आपका नाम लेते रहते हैं……मनुज की बात नही …पक्षी भी वहाँ “कृष्ण कृष्ण” कहते रहते हैं…करुण पुकार है उनकी ।
और वो मैया यशोदा ! इतना कहते हुए उन्हें कुछ याद आगया …… उद्धव नीचे भागे रथ की ओर ………….
कृष्ण नें देखा ………ऊपर से ।
रथ से उद्धव नें मटकी निकाली थी ………..
कृष्ण नें देखा ……..ओह ! मेरी मैया यशोदा नें माखन भेजा है ।
उद्धव आये …………ये भेजा है आपकी मैया यशोदा नें ……..कहा है ….मैं ही खिलाऊँ ………..इतना कहते हुए मटकी से माखन ले ……कृष्ण के मुखारविन्द में देनें लगे उद्धव ………रो रहे हैं कृष्ण ….और माखन खा रहे हैं ……………
बहुत स्वाद है माखन में……..कितना समय हो गया …….ऐसा स्वाद वृन्दावन छोड़नें के बाद आज तक नही आया था ।
क्रमशः …..
शेष चरित्र कल –
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