Explore

Search

November 22, 2024 3:06 pm

लेटेस्ट न्यूज़

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “चन्द्रावली” – एक प्रेम कथा !! भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “चन्द्रावली” – एक प्रेम कथा !!

भाग 2

चन्द्रावली ! ओ चन्द्रावली !

एक कोई सखी घूँघट करके ………..साड़ी गहनों से लदकर चन्द्रावली के पास पहुँची थी ।

हाँ ! कौन है ? चन्द्रावली नें भीतर से ही पूछा ।

मैं तेरी बहन ! बाहर से उस सखी नें कहा ।

पर मेरी बहन ? चन्द्रावली सोच में पड़ गयी ……..

सोचे मत …..मैं मामा की तू फूफी की ……..उस सखी नें कहा ।

अच्छा ! अच्छा ! आजा …….चन्द्रावली नें उसे भीतर बुला लिया ।

गले लगे दोनों……चन्द्रावली नें पूछा ….”तेरी छाती सूख कैसे गयी है” ?

“तेरी याद में…….तुझे याद करते करते मेरी छाती ही सूख गयी” ।

पर तेरे पाँव भी तो कठोर हैं ?

जब पाँव देखे और छूए तब वो कठोर थे …..चन्द्रावली नें पूछा ।

बहन ! तुझे खोजनें कहाँ कहाँ नही भटकी ……उस सखी नें उत्तर दिया ।

कन्हैया गले लगे रहे ……….तात ! कन्हैया के हृदय से जो लग जाए अब वो किसी और के काम का रहा ? रोमांच हो गया चन्द्रावली को ……..आनन्द अपनी सीमा पार कर गया …………आनन्दातिरेक के कारण उसके नेत्रों से अश्रु बहनें लगे ………..चन्द्रावली अब उस सखी को छोड़ नही रही है ।

उस सखी को अब छटपटाहट हुयी …………अपनें आपको छुड़ाकर वो भागी और जब भागी …….तब चन्द्रावली नें देख लिया ………..तुम कन्हैया !

कन्हैया खिलखिलाकर हँस पड़े …….अंगूठा दिखाते हुए बोले ………मुझे छलेगी ? ले छल ।

अब तो लम्बी साँस लेते हुये चन्द्रावली गिर गयी ………..ओह ! कन्हैया का स्पर्श ! वो उनका आलिंगन ! कैसे भूल जाए ये चन्द्रावली ।

हो गया इसे प्रेम ……पक्का प्रेम……बाबरी ही हो गयी ये तो ।

मिलनें लगी कन्हैया से ………..नही मिलते ……तो नन्दमहल के चक्कर काटनें लगी । ……..प्रेम जो कराये कम ही है ।

कन्हैया भी रसिक शेखर हैं …………ये भी मिल लेते ……..गले लगते ……कुछ मीठी बतियाँ बनाते ……..चन्द्रावली अपनें आपको भूलनें लगी थी …………इसके जीवन में बस – कन्हैया …कन्हैया ….सिर्फ कन्हैया ही रह गया था ………।


नित्य मिलते थे चन्द्रावली से कन्हैया ………….ये भी नित्य वृन्दावन में आजाती थी ……..जल भरती ……ये सब तो बहाना था …..मुख्य तो कन्हैया को देखना ही था ।

उस दिन – श्रीराधा आगयीं कन्हैया से मिलनें …………चन्द्रावली के साथ कन्हैया थे ………अभी अभी तो आये ही थे ……….वो बैठी थी ……..बहुत देर से बैठी थी बेचारी …..कन्हैया आये तो वो बाबरी की तरह दौड़ी और कन्हैया को अपने हृदय से लगा लिया ।

पर तभी श्रीराधा आनें वाली हैं ……ये सूचना मिली कन्हैया को ……

चन्द्रावली को हटाया अपनें हृदय से …………क्या बात है प्यारे !

चन्द्रावली नें कन्हैया की ओर देखते हुए पूछा ।

बस ! चन्द्रावली ! तू यहाँ बैठ मैं आता हूँ ।

कन्हैया आज भागे चन्द्रावली के पास से ………..वो बेचारी चिल्लाई ……आओगे ना ? हां , आऊँगा ….यहीं बैठी रहना !

उफ़ ! ये प्रेम रोग सब रोगों से बुरा है…….उद्धव कहते हैं ।

कन्हैया को श्रीराधा मिल जाएँ तो और क्या चाहिये ……….साँझ तक श्रीराधा के साथ विहार करते रहे कन्हैया …………..भूल गए बेचारी चन्द्रावली को ………..वो बैठी है …….वो पल पल इधर उधर देख रही है ………..एक एक क्षण उसका युगों के समान बीत रहा है ।

पर कन्हाई उस दिन नही आये ………..उस दिन नही आये तो ये भूल ही गए थे चन्द्रावली को कि वो वहाँ बैठी हुयी है ।

एक दिन बीत गए …दो बीत गए ….तीन दिन…….ऐसे पूरे पाँच दिन ।

आज श्रीदामा नें कह दिया ……..चन्द्रावली जीजी तुम्हारी प्रतीक्षा में बैठीं हैं ……..आज पाँच दिन हो गए हैं ।

क्या ! चौंक गए कन्हैया ………..वो अभी तक बैठी है !

हाँ …..शायद तुमनें उससे कहा था ……यहीं बैठना मैं आऊँगा ।

श्रीदामा की बात सुनकर कन्हैया भागे चन्द्रावली के पास ………..

पर वो तो प्रेममयी हो गयी थी…….प्रेम में पग गयी थी ………

कन्हैया उसके पास पहुँचे …………..पाँच दिन से वो यहीं है ………न कुछ खाया है न पीया है ………..बस ….कन्हैया नें कहा ……यहीं बैठे रहना ……मैं आऊँगा …..तो बैठी रही ।

कन्हैया नें जाकर चन्द्रावली को अपनें हृदय से लगा लिया …………चन्द्रावली रो पड़ी …………

पगली ! तू क्यों नही गयी अपनें घर ? कन्हैया पूछ रहे हैं उससे ।

तुमनें ही तो कहा था बैठे रहना……मैं आऊँगा……..तुम आ तो गए !

चूम लिया कन्हैया नें उस बाबरी चन्द्रावली को ।

तुम राधा से प्रेम करते हो ना ? मुझे सब पता है ……….वो मुझ से सुन्दर है ? कन्हैया के सामनें वो बहुत कुछ बोलती रही …….पर कन्हैया कुछ नही बोले …………उसका बड़े प्रेम से हाथ पकड़ा ……और उसे घर तक छोड़कर आये थे ।

तात ! ये भी श्रीकृष्ण की अद्भुत प्रेयसि थी ………….इसका प्रेम भी अद्भुत था ………हाँ …..श्रीकृष्ण प्रेम में इसनें भी अपनें आपको मिटा डाला था ……….चन्द्रावली ! उद्धव नें इसका नाम लेते हुये अपनें आँसू पोंछे थे ।

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग