!! श्रीराधाचरितामृतम्” 125 !! महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य)
(स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) विकारयुक्त प्रेम से भी भगवत्प्राप्ति सम्भव है ये देखेंगे कि उसने आँख में अंजन लगाया है कि नहीं? इतनी छोटी चीज देखकर छोड़ देंगे उसको। नहीं, इस पर उनकी नजर नहीं जाती। वे तो उसका दिल देखते हैं। मिलने के लिए आयी- बस यही देखते हैं। भगवान अज हैं। संस्कृत में … Read more