महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (031) : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (031) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय तो वही ईश्वर करुणालय‘योगमायामुपाश्रितः’- वही योगमाया का आश्रय लेकर के यह रासलीला करता है। अब योगमाया का आश्रय लेकरके रासलीला करना क्या है? देखो, संसार में लोग रास्ते पर चलते रहते हैं, कोई दुकान में लगा है, कोई अपने रास्ते … Read more