श्री सीताराम शरणम् ममभाग 116(3) श्रीकृष्णसखा’मधुमंगल’ की आत्मकथा – 42″, श्री भक्तमाल (142)तथा श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
Niru Ashra: 🙏🥰 श्री सीताराम शरणम् मम 🥰 🙏🌺भाग >>>>>>>1️⃣1️⃣6️⃣🌺मै जनक नंदिनी ,,,भाग 3 🌱🌻🌺🌹🌱🥰🌻🌺🌹🌾💐 ध्येयं सदा परिभवघ्नमभीष्टदोहं,तीर्थास्पदं शिवविरिञ्चिनुतं शरण्यम् ।भृत्यार्तिहं प्रणतपालभवाब्धिपोतं,वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥ “वैदेही की आत्मकथा” गतांक से आगे – मैं वैदेही ! मेघनाद ! तुम मेरे सामनें बालक हो …………मुझे सम्मति देंनें योग्य बुद्धि तुममें है नही ……….तुम जो राय दे … Read more