🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(51-3),श्रीकृष्णकर्णामृत – 57 & श्रीमद्भगवद्गीता : Niru Ashra
Niru Ashra: श्रीकृष्णकर्णामृत – 57 ‘वे’ तो ‘वे’ ही हैं…. तत्कैशोरं तच्च वक्तारविन्दं, तत्कारुण्यं ते च लीलाकटाक्षाः ।तत्सोन्दर्यं सा च सान्द्रस्मित श्रीः सत्य सत्यं दुर्लभं दैवतेपि ।55 । हे साधकों ! पूर्व श्लोक में मधुर मूर्ति श्यामसुन्दर का दर्शन करके भाव समाधि में बिल्वमंगल जब पहुँच जाते हैं …उस समय उनके तन मन प्राण में … Read more