!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 12 – “शुद्ध सात्विकता नगर की खाई है” ) :
!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 12 – “शुद्ध सात्विकता नगर की खाई है” ) “अहेरिव गति: प्रेम्ण: स्वभाव कुटिला भवेद्”। यही है प्रेम का सिद्धांत । “प्रेम सर्प के समान टेढ़ा चलता है “। इसलिये प्रेम मार्ग में चलने वालों को ये याद रखना चाहिए कि ….प्रेम के अपने … Read more