श्रीकृष्णकर्णामृत – 65 : नीरु आशरा
श्रीकृष्णकर्णामृत – 65 तुम मुझे देखो…. कदा नु कस्यां नु विषद्-दशायां कैशोर -गन्धिः करुणाम्बुधिनंः ।विलोचनाभ्यां विपुलायताभ्यामालोक यिष्यन्विषयीकरोति ।।६३॥ हे साधकों ! रस राज्य में बिल्वमंगल विरह दशा के कारण मूर्छित पड़े हैं ….अपने प्यारे को पुकारते रहने के कारण इनका कण्ठ सूख गया है ….क्षुधा के कारण देह जर्जर हो गया है ….किन्तु इनको परवाह … Read more