श्रीकृष्णकर्णामृत – 66` : Niru Ashra
*“माधुर्योपासना” `श्रीकृष्णकर्णामृत – 66` *“माधुर्योपासना” ******************************************* मधुरमधुर-विम्बे मञ्जु मन्द-हासे,शिशिरममृत-नादे शीतलं दृष्टि-पाते ।विपुलमरुण-नेत्रे विश्रुतं वेणु-वादे, मरकत-मणि-नीलं बालमालोकये नु ॥६४ ! हे साधकों ! बिल्वमंगल का मधुर भाव है …यानि इनकी मधुर उपासना है । मधुर भाव यानि सर्वोच्च भाव । मधुर भाव यानि जब हमें प्रिय प्राणों से प्यारा लगने लगे वो मधुर भाव है । … Read more