🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(69-3), ‘संकीर्तन’ , श्रीमद्भगवद्गीता तथा भक्तमाल (005) : नीरु आशरा
🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..6️⃣9️⃣भाग 3 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 जहँ तहँ काक उलूक बक, मानस सकृत मराल…📙( रामचरितमानस )📙🙏🙏👇🏼🙏🙏 मैं वैदेही ! मन्थरा है ………हाँ है मन्थरा…….वही मन्थरा जिसनें तेरे वनवास की भूमिका बनाई ………आज मेरे साथ केवल वही मूर्खा मन्थरा है ……..पर वो आज भी मुझ से स्नेह करती … Read more