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July 8, 2025 12:30 pm

उद्धव गोपी संवाद – भ्रमर गीत ४१ एवं ४२

उद्धव गोपी संवाद – भ्रमर गीत ४१ एवं ४२

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)४१ एवं ४२ कोहू कहै अहौ,कहा दोष सिसुपाल नरेसै।ब्याह करन को गयौ,नृपति भीष्म के देसैं।।दल बल जोरि बरात कों,ठाड़ौ हो छवि बाढ़ि।इन्ह छल करि दुलही हरी,छुधित ग्रास मुख काढ़ि।।आपने स्वारथी।।भावार्थ:-कोई कहे कि अरे राजा शिशुपाल का क्या दोष था,वह तो राजा भीष्मक के यहां ब्याह करने को गये थे ‌। उनकी … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-त्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( त्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – मैं ग्रहस्थ आश्रम का त्याग करूँगा …ये मेरा निश्चय है । केशव भारती सन्यासी महाशय से गुप्त मन्त्रणा का ये परिणाम हुआ कि …निमाई ने अब दृढ़ निश्चय कर लिया….मैं सन्यास आश्रम स्वीकार करूँगा ही । आज सुबह से ही … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! – “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! – “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 39 !! “कृष्णोहम्” – प्रेम में अद्वैतावस्थाभाग 1 “ब्रह्म विद् ब्रह्मैव भवति”……..यही नियम है वज्रनाभ ! जो जिसका चिन्तन तन्मय होकर करता है ….वह वही बन जाता है । ब्रह्म का चिन्तन करनें वाले यह कह उठते हैं ……..मैं ही ब्रह्म हूँ । पर ज्ञानी को उस स्थिति में पहुंचनें में समय लगता … Read more