उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५५ एवं ५६ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५५ एवं ५६ कोहू कहै रे मधुप,स्याम जोगी तुम चेला।कुबजा तीरथ जाइ,कियौ इंद्रिन कौ मेला।।मधुबन सुधि बिसराइ कें आए गोकुल माहिं।यहां सबै प्रेमी बसैं,तुम्हरे गाहक नाहिं।।पधारौ रावरे?भावार्थ:-कोई गोपी श्याम रूपी भंवरे से कह रही है ( और ऊधौ जी को कटाक्ष कर रही है) कि अरे भंवरे तेरे स्याम जोगी और … Read more