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July 7, 2025 10:32 am

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५५ एवं ५६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५५ एवं ५६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५५ एवं ५६ कोहू कहै रे मधुप,स्याम जोगी तुम चेला।कुबजा तीरथ जाइ,कियौ इंद्रिन कौ मेला।।मधुबन सुधि बिसराइ कें आए गोकुल माहिं।यहां सबै प्रेमी बसैं,तुम्हरे गाहक नाहिं।।पधारौ रावरे?भावार्थ:-कोई गोपी श्याम रूपी भंवरे से कह रही है ( और ऊधौ जी को कटाक्ष कर रही है) कि अरे भंवरे तेरे स्याम जोगी और … Read more

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-सप्तत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !!-सप्तत्रिंशत् अध्याय : Niru Ashra

!! परम वियोगिनी – श्रीविष्णुप्रिया !! ( सप्तत्रिंशत् अध्याय : ) गतांक से आगे – साधकों ! ध्यान कीजिये निमाई और विष्णुप्रिया के इन प्रेमपूर्ण रुदन का ….आपने मुस्कुराते खिलखिलाते श्यामा श्याम का ध्यान बहुत किया होगा …आपने श्रीरघुनाथ जी और किशोरी जी के आनन्दमय स्वरूप के दर्शन बहुत किये होंगे …..पर ये ध्यान सबसे … Read more

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !!-“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !!-“गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 41 !! “गोपीगीत” – एक दिव्य प्रेमगीतभाग 2 क्या कहा ? हमनें कहाँ प्राण लिए तुम्हारे …..झूठी गोपी । नही ….झूठे तुम हो ……….वध कर रहे हो हमारा तुम ……..फिर पूछते हो ……कैसी हो ? वाह जी ! नही …….मात्र शस्त्र से मारना ही वध नही कहलाता……..तुमनें अपनी तिरछी निगाह से हमें मारा … Read more