उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५७ एवं ५८ : Niru Ashra
उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत)५७ एवं ५८ कोहू कहै रे मधुप,ग्यान उलटौ लै आयौ।मुक्ति परै जे लोग,तिन्हीं फिरि करम बतायौ।।वेद उपनिषद सार जो,मोहन गुन गहि लेत।तिन्ह को आतम सुद्धि करि, फिर फिरि संथा देत।।जोग चटसार में –भावार्थ:-कोई गोपी कह रही रे मधुप तू ज्ञान को उलटो यहां लायो ( यह सब भवंरे के मिस ऊधौ … Read more