🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-३९🦚- भ्रमर -🌹 गीत🌹: Niru Ashra
🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-३९🦚 🌹 भ्रमर -गीत🌹 🪷 भंवरे से गोपीजन व्यथा🪷 🪷 ये सब मुख सप्रतिज्ञाऐं हैं। हृदय तो एक क्षण भी भूलता न हपलमें वियोग मतियाँ तीव्र होती हैं। शरीर अंइन्द्रियों की शिथिल दशा हो रही। पर आँखे तो दर्शन (श्य का ही) लोभ में जागृत खुली रहती हश्याम दर्शन की … Read more