श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 17-( “मैं प्रेम भिखारन” – ललिता बोलीं ): Niru Ashra
– श्रीराधिका का प्रेमोन्माद – 17 ( “मैं प्रेम भिखारन” – ललिता बोलीं ) गतांक से आगे – रंगदेवि ! सखी रंगदेवि ! मुझे लाड़ली की चिंता सता रही है ….क्या तुम वृन्दावन जाओगी ? ललिता ! मुझे भी उनकी बहुत चिंता हो रही है ….किन्तु तुम मथुरा में अकेली हो जाओगी ना ! नहीं … Read more