!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !!-( प्रेम नगर 16 – “जहाँ विराजत मोहन राजा” )-Niru Ashra
!! एक अद्भुत काव्य – “प्रेम पत्तनम्” !! ( प्रेम नगर 16 – “जहाँ विराजत मोहन राजा” ) गतांक से आगे – मूलं मुदां रतिपतेर्मनसोनुकूलमाचूलमूलमरुणं धरणीगुणेन ।नैश्रेयसाकरममन्दमरन्दसान्द़ं सन्ध्याघनोपमघनोपवनं विभाति ।। अर्थ – उस नगर के बीच में मधुर मेचक ( श्याम सुन्दर ) और उनकी महारानी रति ( श्रीराधारानी ) का दिव्य महल है …उस … Read more