महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) 029 & 30 : Niru Ashra
महारास (दिव्य प्रेम का नृत्य) (029) (स्वामी अखंडानंद सरस्वती ) योगमायामुपाश्रित:-भगवान की प्रेम-परवशता कहा- बाबा! तुम्हारी बात तो समझ में नहीं आयी, यह एक क्या? बोली- हमने जो मंगाया था सो आ गया हमारे पास। हमको तो एक तुम चाहिए थे। जब ईश्वर से कोई चीज माँगते हैं वह भेज देता है; और जब अपना … Read more