श्रीमद्भगवद्गीता यथारूपअध्याय 5 : कर्मयोग – कृष्णभावनाभावित कर्म🍃श्लोक 5 . 2 : Niru Ashra
श्रीमद्भगवद्गीता यथारूपअध्याय 5 : कर्मयोग – कृष्णभावनाभावित कर्म🍃🍃🍃🍃🍃🍃श्लोक 5 . 2🍃🍃🍃🍃 श्रीभगवानुवाचसन्न्यासः कर्मयोगश्र्च निःश्रेयसकरावुभौ |तयोस्तु कर्मसन्न्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते || २ || श्री-भगवान् उवाच – श्रीभगवान् ने कहा; संन्यास – कर्म का परित्याग; कर्मयोगः – निष्ठायुक्त कर्म; च – भी; निःश्रेयस-करो – मुक्तिपथ को ले जाने वाले; उभौ – दोनों; तयोः – दोनों में से; तु – … Read more