🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(49-2),श्रीकृष्णकर्णामृत – 50 & श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
Niru Ashra: श्रीकृष्णकर्णामृत – 50 “रूप मनोहर -निगम अगोचर” परामृश्य दूरे पथि पथि मुनीनां ब्रज-वधू- दृशादृश्यं शश्वत् त्रिभुवन-मनोहारि-बदनम् । अनामृश्यं वाचामनिशमुदयानामपि कदा, दरीदृश्ये देवं दरदलित नीलोत्पल रुचिम् । 48 । हे साधकों ! श्रीबिल्वमंगल विरचित “श्रीकृष्णकर्णामृत’ का आप सभी आनन्द ले रहे होंगे ……बिल्वमंगल के साथ साथ चल रहे होंगे …..वो रस के विविध धरातल … Read more