मानुष हौं तो वही रसखानि बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन : विमला देवी मेवाड़ा
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बसु मेरा चरौं नित नंद की धेनु मँझारन। पाहन हौं तो वही गिरि को जो धर्यौ कर छत्र पुरंदर कारन। जो खग हौं तौ बसेरो करौं मिलि कालिंदी-कूल-कदंब की डारन॥ व्याख्या:-रसखान कहते हैं कि यदि मुझे आगामी जन्म में … Read more