🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏(71-3),“रे मन, समझ सोच विचार”,श्री भक्तमाल (011) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
🙏🥰 श्रीसीताराम शरणम् मम 🥰🙏 मैंजनकनंदिनी..7️⃣1️⃣भाग 3 ( माता सीता के व्यथा की आत्मकथा)_🌱🌻🌺🌹🌱🌻🌺🌹🥀💐 सकुचि राम फिरि अवनि बिलोकि …. सादर भरत शीश धर लेहीं…..( रामचरितमानस )🍌🍍🍓🍏🌷🍎🍐🍊🍋🐈 🙏👇👇🙏 भरत ! हमारे पिता सत्यवादी थे ……………तो उनके वचनों को पूरा करना हमारा कर्तव्य है ……………तुम जाओ ………..तुम अच्छे राजा साबित होओगे …………….मेरा विश्वास है ………मैं तुम्हारी … Read more