:🙏🥰 श्री सीताराम शरणम् मम 🥰 🙏🌺1️⃣1️⃣8️⃣(1),🌺“श्रीकृष्णसखा ‘मधुमंगल’ की आत्मकथा-46, श्री भक्तमाल (146) तथा श्रीमद्भगवद्गीता : नीरु आशरा
Niru Ashra: 🙏🥰 श्री सीताराम शरणम् मम 🥰 🙏🌺भाग >>>>>>>1️⃣1️⃣8️⃣🌺मै जनक नंदिनी ,,,भाग 1 🌱🌻🌺🌹🌱🥰🌻🌺🌹🌾💐 “वैदेही की आत्मकथा” गतांक से आगे – मैं वैदेही ! मेरे सामनें मेरे राजीव नयन थे…..मैं उन्हें देख रही थी – अपलक । वो सागर का किनारा…..उनके भी नेत्र भर आये थे जब मुझे उन्होंने देखा…..मेरे साथ त्रिजटा थी…..रावण पहले … Read more